पलामू : छतरपुर विधायक की एक और मांग पर राज्य सरकार ने लिया संज्ञान

Palamu: State government took cognizance of another demand of Chhatarpur MLA

पलामू : छतरपुर विधायक की एक और मांग पर राज्य सरकार ने लिया संज्ञान


-- प्रमुख संवाददाता
-- 14 सितंबर 2021

पलामू जिला अंतर्गत छतरपुर विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक पुष्पा देवी के एक और पत्र पर राज्य सरकार ने संज्ञान लेते हुए सम्बद्ध अधिकारियों को इस आशय का निर्देश जारी किया है । विधायक पुष्पा देवी ने  21 दिसंबर 2020 को एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को सूचित किया था कि जनप्रतिनिधियों का पत्र, जो जनता की समस्याओं के संबंध में होता है, संबंधित विभाग द्वारा न तो जबाब दिया जाता है और न ही संबद्ध स्थिति का पता चलता है । विधायक ने इस स्थिति पर अविलम्ब कार्रवाई की मांग की थी । उन्होंने पुनः इस मामले को विधानसभा अध्यक्ष के पास 5 मार्च 2021 को उठाया था । इस संदर्भ में मंत्रिमंडल सचिवालय ने सभी अधिकारियों को निर्देशों के अनुपालन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आदेश दिया है ।

झारखंड सरकार के मंत्रीमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के सरकार के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह के हस्ताक्षर से सभी अपर मुख्य सचिव, सरकार के सभी प्रधान सचिव, सरकार के सभी सचिव, सभी प्रमण्डलीय आयुक्त, सभी विभागाध्यक्ष, सभी उपायुक्त, सभी पुलिस अधीक्षक और सभी अनुमण्डल पदाधिकारियों को गत 18 जनवरी 2021को भी एक पत्र लिखा था । जिसमें कहा गया था कि- "यह बात संज्ञान में लाई गई है कि जनप्रतिनिधियों यथा- सांसद, विधान सभा सदस्यों, नगर निकाय और पंचायत जनप्रतिनिधियों एवं अन्य सदृश महानुभावों से जन-कल्याण के कार्यों के निष्पादन हेतु विभिन्न विषयों से संबंधित मुद्दों के निराकरण हेतु उनके द्वारा प्राधिकारियों को पत्र भेजा जाता है तथा सुझाव दिये जाते हैं । परन्तु प्राथमिकता के आधार पर उनका ससमय उत्तर नहीं दिया जा रहा है। यह भी सूचना प्राप्त हो रही है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा फोन किये जाने पर क्षेत्रीय कार्यालयों के पदाधिकारियों द्वारा फोन रिसिव नहीं किये जाते हैं और कभी-कभी मोबाईल फोन स्विच ऑफ मोड में भी पाये जाते हैं । उपरोक्त के आलोक में राज्य सरकार द्वारा इसे गंभीरता से लेते हुए, पूर्व में निर्गत आदेशों के अनुपालन के क्रम में निर्देश दिये जाते हैं कि :- जनप्रतिनिधियों के प्रति पदाधिकारियों का व्यवहार सम्मानजनक हो, उनकी बातों को धैर्यपूर्वक सुना जाए और नियमानुसार उस पर समयबद्ध कार्रवाई की जाय तथा कृत्त कार्रवाई की सूचना उन्हें दी जाय। ऐसा हो सकता है कि किसी कार्य को निष्पादित करने में वैधानिक कठिनाई हो, तो उसकी सूचना भी उन्हें शिष्टतापूर्वक तरीके से दे दी जाय। जिन मामले में अंतिम निर्णय होने में विलम्ब होने की सभवना हो, वैसे मामलों में अंतरिम उत्तरदेकर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाय।"

पत्र में कहा गया था कि- "आम लोगों से मिलने हेतु जो समय निर्धारित किया गया है, उसका अनुपालन निश्चित रूप से किया जाय । अपवाद को छोड़कर किसी भी परिस्थति में अपने फोन को स्विच ऑफ मोड में नहीं रखा जाय तथा जन प्रतिनिधियों के फोन यथा संभव रिसिव किये जाएँ। यदि किसी कारणवश आपके द्वारा फोन रिसिव नहीं किया गया हो तो वैसी स्थिति में कॉलबैक कर वार्ता की जाय । पत्राचार की त्वरित सूचना ई-मेल आदि के माध्यम से देने की व्यवस्था विकसित की जाय। इससे सभी को सरलता से सूचना देने में आसानी होती है। यदि किसी मामले की संवेदनशीलता को दृष्टिपथ में रखते हुए सूचना देना संभव नहीं हो तो उच्चतर प्राधिकारी का आदेश प्राप्त कर तदनुरूप कार्रवाई की जाय।"

पत्र में कहा गया था कि- "उपर्युक्त निदेशों से अपने अधीनस्थ सभी सरकारी सेवकों को अवगत कराते हुए उसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाय। सभी स्तर के सरकारी सेवकों से यह अपेक्षा की जाती है कि सरकार के आदेश के अनुपालन में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाए और जनप्रतिनिधियों यथा- सांसद/विधान सभा सदस्यों एवं अन्य सदृश महानुभावों से प्राप्त सुझावों/पत्रों पर त्वरित कार्रवाई की जाय । कृपया इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय।"

सरकार के उक्त निर्देश का पालन संबद्ध अधिकारी करेंगे, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए । लेकिन अगर ऐसा पूर्व से ही होता तो छतरपुर विधायक को यह मामला दो बार उठाने की जरूरत शायद ही पड़ती । यह प्रसंग उन सभी आम जनता के लिए एक उदाहरण की तरह है, जो इस गलतफहमी में रहते हैं कि सरकारी महकमा उनकी बातों पर, फरियादों पर या प्रार्थना पर एक ही बार में सुन लेगा ! हां, कभी कभी ऐसा अपवाद स्वरूप हो भी जाता है । लेकिन यहां तो सुनने-सुनाने के लिए 'माननीयों' को भी फरियाद करना पड़ता है ।