श्रीरामलला के मूर्तिकार अरुण योगीराज : जिनकी पांच पीढ़ियां शिलाओं को बनाती रही हैं जीवंत : देखिये उनकी कई अद्भुत कलाकृतियां
-- अरूण कुमार सिंह
अरुण योगीराज, जिनके पास मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि है, वर्तमान में देश में सबसे अधिक मांग वाले मूर्तिकार हैं। बीते 22 जनवरी को अयोध्या में जब श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तबसे हर व्यक्ति अरूण की मूर्ति का गुणगान कर रहे हैं ।
अरुण योगीराज का जन्म 1983 में मैसूर के अग्रहारा में हुआ था । वे मैसूर शहर के मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों के परिवार से आते हैं । अरुण के पिता योगीराज और दादा बसवन्ना शिल्पी भी प्रसिद्ध मूर्तिकार थे । उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। इसी पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाले अरुण योगीराज भी बचपन से ही नक्काशी के काम से जुड़े रहे। एमबीए पूरा करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक एक निजी कंपनी में काम किया। उनके पिता योगीराज शिल्पी का निधन हो गया, जबकि अरुण अभी भी अक्टूबर 2021 में सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बना रहे थे। वर्ष 2008 से ही अरूण मूर्तियां तराश और गढ़ रहे हैं ।
उनके एक भाई और एक बहन हैं । उन्होंने विजेता से शादी की।उनके भाई सूर्यप्रकाश उनके साथ मैसूर में रहते हैं । सूर्यप्रकाश भी मूर्तिकार ही हैं ।
बहुत पहले से ही अरूण द्वारा बनायी गयी मूर्तियों की मांद दुनियाभर में है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अरुण की प्रतिभा की सराहना कर चुके हैं।
इंडिया गेट के पीछे अमर जवान ज्योति के पीछे भव्य छत्र में अरुण द्वारा तैयार की गई सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा थी कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा स्थापित की जाए । इस कार्य को अरूण ने ही पूरा किया । इसके अलावा, उन्होंने प्रधानमंत्री को सुभाष चंद्र बोस की दो फीट ऊंची प्रतिमा उपहार में भी दी और उनकी सराहना हासिल की।
इससे पहले अरुण योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा भी बनाई थी। मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, संवैधानिक वास्तुकार डॉ. की 15 फीट ऊंची मूर्ति । बीआर अंबेडकर, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा, नंदी की छह फीट ऊंची अखंड मूर्ति, बाणशंकरी देवी की छह फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर के राजा की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृतशिला मूर्ति, जयचामाराजेंद्र वोडेयार और कई अन्य जीवंत मूर्तियां अरुण योगीराज के हाथों गढ़ी गयीं हैं।अरुण को पहले भी कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। मैसूर के शाही परिवार ने भी उनके योगदान के लिए विशेष सम्मान दिया है ।
संयुक्त राष्ट्र संगठन के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान द्वारा कार्यशाला का दौरा कर अरूण की व्यक्तिगत सराहना की गयी थी । इसके अलावा उन्हें मैसूर जिला प्रशासन द्वारा नलवाड़ी पुरस्कार 2020 में, कर्नाटक शिल्प परिषद द्वारा मानद सदस्यता 2021में, 2014 में भारत सरकार द्वारा साउथ जोन यंग टैलेंटेड आर्टिस्ट अवार्ड, मूर्तिकार संघ द्वारा शिल्पा कौस्तुभा अवार्ड, मैसूरु जिला प्राधिकरण द्वारा राज्योत्सव पुरस्कार, कर्नाटक राज्य के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित, मैसूरु जिले की खेल अकादमी द्वारा सम्मानित, अमरशिल्पी जकनाचार्य ट्रस्ट द्वारा सम्मानित होने के अलावा अरूण को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के मूर्तिकला शिविरों में कई सम्मान मिले हैं ।
उनके द्वारा बनायी गयी श्री की 28 फीट की अखंड काले ग्रेनाइट पत्थर की मूर्ति, इंडिया गेट, दिल्ली, भारत सरकार के लिए सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति, चुंचुनकट्टे, केआर नगर के लिए 21 फीट की अखंड पत्थर की हनुमान होयसल शैली की मूर्ति, केदारनाथ, उत्तराखंड के लिए 12 फीट की आदि शंकराचार्य की मूर्ति, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की 15 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति, श्री रामकृष्ण परमहंस की भारत की सबसे बड़ी 10 फीट की अखंड सफेद संगमरमर की मूर्ति, पेडस्टल, मैसूर के साथ महाराजा जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 15 फीट की अखंड सफेद संगमरमर पत्थर की मूर्ति, मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर में "सृजन का सृजन" की अवधारणा में गढ़ी गई 11 फीट की अखंड आधुनिक कला की पत्थर की मूर्ति, श्री यू.आर. की कांस्य प्रतिमा, राव को इसरो, मैसूर में भगवान गरुड़ की 5 फीट की मूर्ति, केआर नगर में भगवान योगनरसिम्हा स्वामी की 7 फीट ऊंची मूर्ति, सर एम.विश्वेश्वरैया की असंख्य मूर्तियाँ, श्री की असंख्य मूर्तियाँ, डॉ बी आर अम्बेडकर की कई मूर्तियां, विभिन्न मंदिरों में भगवान पंचमुखी गणपति, भगवान महाविष्णु, भगवान बुद्ध, नंदी, स्वामी शिवबाला योगी, स्वामी शिवकुमार और देवी बनशंकरी की मूर्तियां चर्चा और आकर्षण का केन्द्र रही हैं । इसके अलावा उन्होंने अपने हाथ से कई मंडप और पत्थरों के स्तंभों भी बनाये हैं ।