उदयनिधि ने फिर दिया विवादास्पद बयान : कहा कि सनातन धर्म ने महिलाओं को गुलाम बनाया

उदयनिधि ने फिर दिया विवादास्पद बयान : कहा कि सनातन धर्म ने महिलाओं को गुलाम बनाया

नई दिल्ली । तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन सनातन धर्म के खिलाफ बयान देकर भाजपा समेत तमाम हिंदू संगठनों और धर्मगुरुओं के निशाने पर हैं। देश के अलग-अलग इलाकों में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं । लोग उनके नाम का पुतला भी फूंक रहे हैं। लेकिन, इतना विवाद बढ़ने बाद भी उदयनिधि ने फिर विवादास्पद बयान दिया है । उदयनिधि स्टालिन ने एक बार फिर कहा है कि उन्होंने आस्था में कुछ प्रथाओं को उन्मूलन करने की बात कही थी और वह उनके खिलाफ आवाज उठाना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ हिंदू आस्था के बारे में नहीं बल्कि उन सभी लोगों के बारे में बात की जो ऐसा करते हैं। उदयनिधि स्टालिन ने ये भी कहा कि उन्होंने सिर्फ जातिगत भेदभाव की निंदा की है। आगे बोले कि ”मैं बार-बार उस मुद्दे पर बात करूंगा जो मैंने शनिवार को कार्यक्रम में बोला था। मैं और भी बोलूंगा। मैंने उस दिन ही कहा था कि मैं उस मुद्दे पर बात करने जा रहा हूं जो कई लोगों को परेशान करने वाला है और वही हुआ है”।

उन्होंने कहा कि परसों मैंने एक समारोह में इसके बारे में (सनातन धर्म) बोला था । मैंने जो भी कहा, मैं वही बात बार-बार दोहराऊंगा । मैंने सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों को इसमें शामिल किया । मैंने जातिगत मतभेद की निंदा की। उन्होंने दावा किया, सनातन धर्म का मतलब यह था कि यह स्थायी है और इसे बदला नहीं जा सकता ।

उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि महिलाएं पहले घर के अंदर ही सीमित थीं लेकिन वे बाहर आ गई हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षा नहीं मिल सकती है, केवल द्रविड़म (द्रमुक की विचारधारा) ने उन्हें शिक्षा दी है। यहां तक कि नाश्ता योजना (तमिलनाडु में) यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अधिक बच्चे, विशेषकर लड़कियां, शिक्षा प्राप्त करें।

उन्होंने कहा, ”सनातनम (जैसा कि तमिल में कहा जाता है) ने महिलाओं को गुलाम बनाया,” उन्होंने कहा कि वहां एक समय सती प्रथा हुआ करती थी जिसमें विधवाएं अपने पतियों की चिता में कूदकर अपनी जान दे देती थीं। उन्होंने कहा कि ये सभी सनातनम हैं। मैंने इसी को खत्म करने पर जोर दिया है। मैं ऐसा कहना जारी रखूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर उनकी जान को किसी भी तरह की धमकी मिलने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। इससे पहले भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि उनकी टिप्पणियों को जातिगत क्रम की पृष्ठभूमि में लिया जाना चाहिए। उन्होंने बढ़ती विपक्षी एकता के डर के बीच भाजपा पर उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया।