पलामू में हुए धान खरीद घोटाले का मामला छतरपुर विधायक ने विधानसभा में उठाया : क्या हो जाएगी जांच ?

Chhatarpur MLA raised the issue of paddy purchase scam in Palamu in the assembly : what will be investigated

पलामू में हुए धान खरीद घोटाले का मामला छतरपुर विधायक ने विधानसभा में उठाया : क्या हो जाएगी जांच ?


-- अरूण कुमार सिंह
-- 9 सितंबर 2021

पलामू के विभिन्न धान अधिप्राप्ति केन्द्रों पर हुये धान खरीद घोटाले को छतरपुर विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक पुष्पा देवी ने झारखण्ड विधान सभा में उठाया है । धान खरीद घोटाले की गूंज मीडिया से लेकर सामाजिक पटल तक पर पिछले छह महीने से लगातार सुनायी दे रही है । ऐसे में, यह पूछा जाना वाजिब है कि क्या उम्मीद किया जाना चाहिए कि इस मामले में त्वरित जांच और कार्रवाई होगी ? शक इसलिए पैदा होता है क्योंकि तमाम एक्सरसाइज के बावजूद अब भी यहां के किसान 400 से लेकर 500 रूपये प्रति बोरा यूरिया खाद खरीदने को विवश हैं । आपको याद दिला दें कि भ्रष्टाचार और उपेक्षा से तंग आकर ही एक दशक पूर्व पलामू के हजारों किसानों ने सामूहिक इच्छामृत्यु की मांग की थी । आज तो स्थिति उससे भी बदतर है ।

छतरपुर विधायक ने विधानसभा में उठाया मामला

छतरपुर विधायक द्वारा विधानसभा में उठाये गये संबद्ध मामले (प्रकिया तथा कार्य संचालन नियम 147(1) के तहत ध्यानाकर्षण के तहत) में कहा गया है कि - "पलामू जिला अंतर्गत वर्ष 2020-21 में एफसीआई एवं जिला आपूर्ति विभाग पलामू की मिलीभगत से धान क्रय में काफी अनियमितता बरती गई है । जिससे पलामू जिले के किसानों का धान समय से धान अधिप्राप्ति केन्द्रों पर नहीं खरीदा गया । जिससे उनका धान घर पर ही रखा रह गया । जिससे किसानों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि बिचौलियों के द्वारा दूसरे केन्द्रों के किसानों का धान क्रय कर यहां के किसानों का हक मारा गया है । पलामू जिला में 17 हजार किसान निबंधित हैं । निबंधन के समय ही किसानों को प्रखण्डवार धान अधिप्राप्ति के द्वारा बिक्री के लिए आईडी एलॉट किया जाता है । फिर भी यहां के किसानों का धान नहीं खरीद कर दूसरे प्रखण्डों के किसानों का धान को खरीदा गया ।  जिन धान केन्द्रों पर 5-6 हजार क्विंटल धान भण्डारण की क्षमता थी, वहां पर बिचौलियों एवं विभाग की मिलीभगत से 80-90 हजार क्विंटल धान खरीद दर्शाया गया है जो विभागीय एवं बिचौलियों की मिलीभगत को दर्शाता है । अतः मैं सदन के माध्यम से पलामू जिले में धान कय में हुए अनियमितता की जांच उच्चस्तरीय समिति से कराते हुए किसानों को उचित मुवाअजा देने हेतु एवं इस अनियमितता में संलिप्त दोषी पदाधिकारीयों एवं बिचौलियों पर कठोर कार्रवाई करने हेतु सरकार का ध्यान आकृष्ट करती हूं ।" इसके पूर्व विधायक पुष्पा देवी ने उक्त मामले को लेकर विधानसभा गेट पर धरना भी दिया था । उन्होंने कहा कि किसानों के साथ हो रहे अन्याय और बेईमानी के मसलों पर वे चुप नहीं बैठेगीं ।

बिचौलिया मालामाल हुए, किसान जो थे, वही रह गये

पलामू जिले में धान क्रय को लेकर एफसीआई और जिला आपूर्ति विभाग ने ऐसा खेल खेला कि बिचैलिया मालामाल हो गये और किसानों का धान उनके घर पर ही रह गया । हुसैनाबाद के बेनी कला गांव में आपूर्ति या इससे संबंधित अन्य विभागों ने ऐसे लोगों को भी उस गांव का किसान बना दिया जो वहां के निवासी ही नहीं थे । उनके पास वहां जमीन भी नहीं थी । कई ऐसे किसानों ने अपना धान हुसैनाबाद व्यापार मंडल में बिक्री नहीं कर वहां से लगभग लगभग 75 किमी दूर पंड़वा प्रखंड कार्यालय स्थित धान अधिप्राप्ति केंद्र में धान बेचा । इतना ही नहीं, आईडी नंबर ट्रांसफर और हेरफेर कर इन लोगों को धान अधिप्राप्ति का भुगतान भी कर दिया गया ।

लगातार चर्चा में रहा एफसीआई, खबरें छपती रहीं, कार्रवाई शून्य रही

धान क्रय को लेकर एफसीआई लगातार चर्चा में रहा । संबद्ध खबरें छपती रहीं लेकिन कार्रवाई नहीं हुई । दिसंबर, 20 से मार्च, 21 तक कुल चार माह में लगभग 110300 बोरा धान क्रय करनेवाले एफसीआई के चैनपुर धान अधिप्राप्ति केंद्र ने आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ अप्रैल माह में 158385 बोरा धान की खरीदारी कर ली ‌ है। मतलब जितनी खरीदारी चार माह में नहीं हो सकी, उससे चार गुना धान की खरीदारी सिर्फ अप्रैल माह में हुई। यह विभागीय आंकड़ा है । लेकिन सूत्र बताते हैं कि विभाग में इससे भी अलग खेल हुआ है। चालू वर्ष में लगभग 1360 किसानों से लगभग 2,68,685 बोरा धान की खरीदारी की गई है, जिसमें से सिर्फ अप्रैल माह में लगभग 800 किसानों से धान की खरीदारी की गई है। यह खरीदारी तब हुई, जिस दौरान झारखंड समेत अन्य राज्यों में लॉकडाउन लगा था और काफी हद तक गाड़ियों का परिचालन भी प्रभावित था। सूत्रों का कहना है कि दरअसल किसानों से धान की खरीद ही नहीं हुई । बिचौलियों का धान पहले खरीदा जा चुका था जिसे अप्रैल माह में कागज पर दर्शा दिया गया । यही खेला पलामू के अन्य धान खरीद केन्द्रों पर भी हुआ और संबद्ध राशि बिचौलियों के खाते में डालकर रूपये बंदरबांट कर लिये गये ।

धान खरीद बिक्री का अजब-गजब खेल हुआ पलामू में

एफसीआई और जिला आपूर्ति विभाग ने मिलकर धान खरीद बिक्री का गजब खेल खेला । जिले के कई प्रखंडों में एक दिसंबर तक निबंधित किसान अप्रैल 2021 पहुंचते-पहुंचते अचानक डेढ़ गुना बढ़ गये। उदाहरण के लिए पंड़वा धान अधिप्राप्ति केंद्र बनने से पहले वहां के धान की खरीद पाटन धान अधिप्राप्ति केंद पर की जाती थी ‌। एक दिसंबर 2020 तक पाटन धान अधिप्राप्ति केंद पर वहां के लगभग 14 सौ किसान निबंधित थे। इसमें पंड़वा केंद्र पर 393 किसान व पाटन केंद्र पर लगभग 900 किसान निबंधित थे। पंड़वा अलग केंद्र बनने के बाद वहां अप्रैल 2021 तक कुल 617 और पाटन में 1319 किसान बढ़ गये। यदि इन दोनों प्रखंड के लिये अवस्थित धान अधिप्राप्ति केंद्रों के किसानों के आंकड़ों व धान बिक्री की मात्रा पर ध्यान दें तो इतने जमीन का रकबा भी इन दोनों प्रखंडों में नहीं होगा। दरअसल इन दोनों प्रखंडों पर
अचानक बढ़ी किसानों की संख्या आईडी नंबर ट्रांसफर के बाद हुआ भा है और बताया जाता है कि इनमें अधिकांश किसान नहीं बल्कि बिचैलिया हैं ।

75-100 किलोमीटर की दूरी पर जाकर धान बेचने वाले क्या सचमुच किसान ही थे...?

पलामू जिले में हर बार की तरह इस बार भी किसानों से धान क्रय के लिये एफसीआई को एजेंसी नियुक्त किया गया था, लेकिन बीते वर्षों की बात छोड़ दें तो इस बार जिले के सभी 12 धान क्रय केंद्र पर बिचैलिया हावी रहे। सूत्र बताते हैं कि इस खेल में सिर्फ एफसीआई ही नहीं बल्कि जिला आपूर्ति विभाग भी शामिल रहा है। क्योंकि किसानों के आईडी ट्रांसफर का काम जिला आपूर्ति विभाग व एफसीआई दोनों करते हैं। सूत्रों के अनुसार पलामू जिला में धान बिक्री के लिये लगभग 17 हजार किसान निबंधित हैं और निबंधन के समय ही उन्हें उनके प्रखंड स्थित केंद्र पर धान बिक्री के लिये निबंधित कर आईडी अलॉट कर दिया जाता है। लेकिन इस बार नियमों के विपरीत लगभग 15 प्रतिशत निबंधित किसानों का आईडी संबंधित केंद्र से जिले के दूसरे केंद्र में ट्रांसफर कर दिया गया। नियमतः ज्यादातर दो प्रतिशत किसानों का ही आईडी ट्रांसफर होना चाहिये था वह भी पास स्थित धान क्रय केंद्र में, लेकिन इस बार जो आईडी ट्रांसफर किये गये वह किसानों के गांव से 75 से 100 किमी दूर स्थित के केंद्र हैं। दरअसल बताया जाता है कि जिन किसानों ने इतने दूर केंद्रों पर धान बेचा है वे किसान थे ही नहीं।