1 करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस के पकड़े जाने पर झारखंड पुलिस ने उसे मीडिया से क्यों दूर रखा

1 करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस के पकड़े जाने पर झारखंड पुलिस ने उसे मीडिया से क्यों दूर रखा


-- समाचार डेस्क
-- 14 नवंबर 2021

ऐसा बहुत कम ही होता है कि किसी शीर्ष नक्सली के  पकड़े जाने को बाद उसे मीडिया से दूर रखा गया हो  ! माओवादियों के शीर्षस्थ नेता और 1 करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस के पकड़े जाने के बाद ऐसा ही हुआ । झारखंड पुलिस ने उसे मीडिया कर्मियों से दूर रखा । पुलिस के इस कदम के अपने अपने मायने निकाले जा रहे हैं । लेकिन झारखंड के डीजीपी ने स्पष्ट किया है कि आखिर प्रशांत बोस को मीडिया से दूर रखने की क्या वजह थी ।

कौन है 1 करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस

प्रशांत बोस को किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा उर्फ निर्भय मुखर्जी उर्फ काजल उर्फ महेश के नाम से जाना जाता है। इसकी उम्र 75 वर्ष है। यह 90 के दशक से सक्रिय है । पुलिस का कहना है कि हत्या व आपराधिक साजिश सहित सैकड़ों माओवादी घटनाओं में इसकी संलिप्तता रही है। प्रशांत बोस माओवादियों का देश में दूसरे स्थान का सबसे बड़ा नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य भी है । इसके जिम्मे बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना व महाराष्ट्र राज्य थे । इसपर झारखंड सरकार ने एक करोड़ का इनाम रखा है । प्रशांत बोस का पैतृक घर- यादवपुर, 24 परगना, पश्चिम बंगाल बताया जाता है । इसकी पत्नी शीला मरांडी, संथाल की रहने वाली है । पत्नी भी सेंट्रल कमेटी की सदस्य बताई जाती है ।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किशन दा भाकपा (माओवादी) के पोलित ब्यूरो में नंबर दो की पोजीशन में था और संगठन के पूर्वी क्षेत्रीय प्रभाग का नेतृत्व करता था। वो झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में नक्सल गतिविधियों का प्रभारी भी था। अधिकारी ने यह भी कहा कि वह बार-बार अपना स्थान बदलता था और पकड़े न जाने के लिए कभी भी किसी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता था । इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने उसे कई बार ट्रैक किया लेकिन वह लंबे समय तक एक क्षेत्र में नहीं रहता था। हाल ही में वह झारखंड के सारंडा जंगल से काम कर रहा था। झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश की पुलिस लंबे समय से उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी

कैसे पकड़ा गया किशन दा

नक्सल सेंट्रल कमिटी के सबसे ताकतवर सदस्यों में से एक प्रशांत बोस उर्फ किशन दा को झारखण्ड पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त अभियान में सरायकेला के कांड्रा इलाके से 12 नवंबर को गिरफ्तार किया । प्रशांत बोस के साथ उनकी पत्नी शीला मरांडी और अन्य 4 अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया । इनके पास से मोबाइल एसडी कार्ड, पेन ड्राइव सहित अन्य सामान बरामद हुए ।

पुलिस का कहना है कि पेन ड्राइव और एसडी कार्ड में नक्सलियों के द्वारा अंजाम दिये गए तमाम घटनाओं का ब्यौरा है । आने वाले दिनों में संगठन किस तरह से काम करेगा, इसकी भी पूरी जानकारी है । आईजी अभियान अमोल विणुकान्त होमकर ने बताया कि प्रशांत बोस का दबदबा झारखंड के साथ-साथ बिहार, ओडिशा, बंगाल, छतीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में था । इसी महीने माओवादियों की एक बड़ी बैठक पारसनाथ में होनी थी और उसी बैठक में शामिल होने के लिए किशन दा जा रहे थे । लेकिन इसकी जानकारी पुलिस को मिल गई । लिहाजा पुलिस के विशेष अभियान चलाकर प्रशांत बोस समेत 6 नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया ।

70 के दशक में झारखंड आया था प्रशांत बोस

झारखंड पुलिस के मुताबिक संयुक्त बिहार में विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन के महाजनी आंदोलन के वक्त प्रशांत बोस पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में गिरिडीह आया था । इसके बाद एमसीसीआई प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा । सुनील महतो, रमेश सिंह मुंडा जैसे चर्चित नेताओं की हत्या में वह वांटेड है । 2008 में बुंडू के तत्कालीन विधायक व मंत्री रमेश सिंह मुंडा हत्या मामले में भी एनआईए ने प्रशांत बोस को फरार बताते हुए चार्जशीट दायर किया था । इसके अलावा जमशेदपुर के गुड़ाबंधा में नागरिक सुरक्षा समिति के एक दर्जन से अधिक सदस्यों की हत्या, चाईबासा के बलिवा के चर्चित कांड में पुलिसकर्मियों के सबसे बड़े नरसंहार में उनकी संलिप्ता सामने आई थी ।

वह किसी को भी बना सकता है नक्सली...

बोस की गिरफ्तारी पर झारखण्ड डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि ये झारखंड पुलिस के लिए बहुत बड़ी सफलता है । पहली बार माओवादियों की सेंट्रल कमिटी का कोई सदस्य झारखंड पुलिस गिरफ्त में आया है । उन्होंने कहा कि प्रशांत बोस कहां छिपे थे, इसकी पूरी जानकारी झारखंड पुलिस के पास थी । लेकिन वहां तक पहुंचने में काफी खून-खराबा होता । इस वजह से इंतजार किया गया और प्रशांत बोस को रास्ते में गिरफ्तार किया गया । डीजीपी ने कहा कि बोस स्वस्थ हैं और मानसिक रूप से काफी शार्प है । यही वजह है कि उन्हें मीडिया के समक्ष नहीं लाया गया । डीजीपी ने कहा कि प्रशांत बोस का दिमाग इतना शातिर है कि वो अपने वक्तव्य से किसी को भी नक्सली बना सकता है । इसी वजह से प्रशांत बोस को मीडिया के समक्ष नहीं लाया गया ।