पलामू : पांकी के सोरठ के एक कुयें में मिले 30 से अधिक बंदरों के शव

पलामू : पांकी के सोरठ के एक कुयें में मिले 30 से अधिक बंदरों के शव

-- प्यास बुझाने के लिए कुयें में उतरे बंदर फिर बाहर नहीं निकल सके...

-- अरूण कुमार सिंह
प्यास बुझाने के लिए निकले 30 से अधिक बंदर कुयें में उतरे । प्यास तो बुझ गयी लेकिन वे कुयें के बाहर नहीं निकल सके और सभी की मौत हो गयी । रविवार की शाम कुछ चरवाहों ने कुयें में झांका तो अंदर तीन दर्जन से अधिक बंदरों का शव था । इतने सारे बंदरों का शव एक साथ मिलने से इलाके में सनसनी फैल गयी है और यह पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है ।

 यह घटना पलामू जिले के पांकी थानाक्षेत्र के सोरठ गांव की है । अनुमान लगाया जा रहा है कि यह घटना करीब एक सप्ताह पहले घटी होगी । क्योंकि अधिकतर बंदरों के शव सड़ गये हैं । आसपास के ग्रामीण इस घटना से अनभिज्ञ थे । रविवार को कुयें से दुर्गंध आया और चरवाहों ने जब कुयें के अंदर का नजारा देखा तो यह बात पूरे इलाके में फैल गयी ।

मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने निकाले बंदरों के शव

घटना की सूचना मिलने के बाद घटना स्थल पर डीएफओ ने वन कर्मियों को भेजा है । डीएफओ कुमार आशीष का कहना है कि - "मामले की जांच की जा रही है । मृत बंदरों का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा ।"
मौके पर पहुंचे वन कर्मियों ने बड़ी ही मशक्कत के बाद बंदरों का सड़ा हुआ शव कुयें से बाहर निकाला । मौके पर मौजूद ओमप्रकाश नामक एक वन कर्मी ने बताया कि सारे बंदर प्यास बुझाने के लिए ही कुयें में उतरे होंगे जो फिर बाहर नहीं निकल सके और एक दूसरे को बचाने की कोशिश में एक एक करके मर गये । वन कर्मियों ने बताया कि बंदरों के शव निकालकर उन्हें दफना दिया जाएगा ।

पांकी प्रखंड मुख्यालय से महज डेढ़-दो मील की दूरी पर है सोरठ

सोरठ गांव पांकी प्रखंड मुख्यालय से महज डेढ़-दो किलोमीटर है । जिस कुयें में बंदरों के शव मिले हैं वह सोरठ गांव से लगभग 8 सौ मीटर दूर है । यह एक सरकारी सिंचाई कूप है । आसपास जंगल और पहाड़ी है । इधर सिर्फ गांव के लोग ही आते जाते हैं । लेकिन यह बड़ा सवाल है कि जब इतने बंदर मर कर सड़ रहे थे तो उस दौरान कोई भी वनकर्मी इस इलाके तक क्यों नहीं आये ? लोग यूं ही नहीं कहते कि अब जंगल, जंगली जीव और जंगल की संपदा राम भरोसे है !

इलाके में व्याप्त है जल संकट

अन्य इलाकों की तरह इस इलाके में भी जल संकट व्याप्त है । घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर जमुआ चैकडैम है । समीप ही अमुआही नाला सहित दो तीन नाले हैं जो पूरी तरह सूख चुके हैं । सोरठ के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में पानी पीने के लिए बंदरों का झुंड, नीलगाय सहित कई जंगली जानवर आते रहते हैं । लेकिन गांव में भी वैसी कोई सुविधा नहीं है जहां जंगली जानवर अपनी प्यास बुझा सकें ।

पिछले कई महीनों से जारी है जंगलों की अंधाधुंध कटाई

ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई महीनों से आसपास के जंगलों की अंधाधुंध अवैध कटाई हो रही है । जंगल के लगभग सभी बड़े पेड़ काटे जा चुके हैं जो जंगली जीवों के आश्रय थे । लेकिन कई वन कर्मी या अधिकारी इधर नहीं आते ।