सोचिएगा : कि जब एक नौकर के यहां से यहां से 30 करोड़ से अधिक रूपये मिलने की खबर आती है तो संघर्षरत आम आदमी क्या बीतता होगा

सोचिएगा : कि जब एक नौकर के यहां से यहां से 30 करोड़ से अधिक रूपये मिलने की खबर आती है तो संघर्षरत आम आदमी क्या बीतता होगा

-- अरूण कुमार सिंह

देखिये तो, जहां आम आदमी चाय-चीनी, दाल-चावल, तेल, हींग, हरदी, लहसुन-प्याज, सिंदूर-टिकुली जैसी चीजों में उलझा हो और हर दिन केवल पेट भरने और तन ढंकने की मांग भी पूरी करने में अक्षम साबित हो रहा हो ! या कि जिस राज्य में पेट भरने और तन ढंकने‌ के लिए पलायन मजबूरी हो ! या कि जिस राज्य की एक बड़ी आबादी आज भी भूख की आग बुझाने के लिए कंद-मूल‌ और काना-गेंठी पर निर्भर हो ...! जहां के हर गांव का करीब करीब हर घर कर्ज में डूबा हो और लोग आत्महत्या के लिए विवश हों... वहां से अगर खबर आये कि फलाने मंत्री के ढिमका नौकर के‌ यहां‌ 30 करोड़ कैश मिला तो कल्पना कीजिये कि संघर्षरत आम आदमी पर क्या बीतता होगा और वह किस तरह से सोचता होगा ?

कमोवेश हर राजनैतिक पार्टी सत्ता में आने से पहले बहुत ही नैतिक और ऊंची ऊंची बातें करती है । नेता खुद को दूध का धुला बताते हुए दूसरे नेताओं को महा भ्रष्ट बताते हैं । फिर सत्ता में आते ही जब ये खोल से बाहर निकलते हैं तो इनका असली चेहरा सबके सामने प्रकट हो जाता है ...

यह झारखंड की बदकिस्मती है कि जल-जंगल-जमीन की बात करने वाले जब सत्ता में आते हैं तो जल-जंगल-जमीन ही लुटवाना और लुटाना शुरू कर देते हैं । ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग बन जाता है । परीक्षायें धांधली की शिकार हो जातीं हैं और युवा वर्ग के पास अपना पेट चलाने को जब कोई रास्ता नहीं मिलता तो या तो वे फ्रॉडगिरी करने लगते हैं या फिर अपराधी हो जाते हैं...

सभी कुकर्मियों और भ्रष्टाचारियों को इस बात का अंदाजा है कि वे मरते वक्त अपने साथ एक सूई या तिनका भी नहीं ले जा सकते ‌। उन्हें यह भी पता है कि जीवन के अंतिम वक्त में भोगना ही उनकी नियति होगी ‌। दोनों हाथों से झारखंड और देश को लूटने और लुटवाने वाले लोग जिनके लिए यह सब करते हैं, बुढ़ापे में वे भी उनके नहीं होते और अगर ऐसे लोग बुढ़ापे तक बच भी गये तो भोग भोगकर मरना इनकी नियति होती है ‌।

निवर्तमान सांसदों में 29 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं । अपने देश में 48 सांसद और विधायक ऐसे हैं, जिनपर पीड़ित महिलाओं ने बलात्कार, उत्पीड़न और अन्य तरीकों से आबरू लूटने के मुकदमे दर्ज करवाये हैं । इनमें भाजपा के भी 20 नेता रेप के आरोपी‌ हैं । लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के पास औसतन 38.33 करोड़ रुपये की संपत्ति है । जबकि 53 (सात प्रतिशत) सांसद अरबपति हैं । यह कुल सांसदों का सात प्रतिशत है ।

ईडी जब रेड मारकर करोड़ों की संपत्ति और रूपये जब्त करती है तो आप कहते हैं कि यह सब बदले की कार्रवाई है । सवाल है कि आपको किसने कहा था कि सत्ता में आते ही लूट मचाईये ? अब, जैसा कर्म कर रहे हैं, वैसा तो भोगना ही पड़ेगा न !

मेरे एक पत्रकार मित्र कहते हैं कि असली खेल अभिये शुरू हुआ है ‌। हर व्यक्ति और नेता का नंबर आयेगा जिन्होंने राज्य और देश को लूटा है । आनेवाले वर्षों में ऐसे अधिकतर लोग जेल में होंगे...! मित्र यह भी कहते हैं कि - ईहे है इनका असली चेहरा । आजकल के अधिकतर नेताओं का इस धरती पर अवतरण सेवा और देश के नाम के लिए नहीं, 'कांड' करने के लिए ही होता है जो रहा है...

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस परिप्रेक्ष्य में आम आदमी आखिर क्या करे ? किसको वोट दे कि उसका आनेवाला कल बेहतर हो...?