श्रद्धांजलि : संगीत साधक पंडित राजा राम मिश्र के निधन पर कलाकारों संग कला प्रेमियों ने जताया शोक

श्रद्धांजलि : संगीत साधक पंडित राजा राम मिश्र के निधन पर कलाकारों संग कला प्रेमियों ने जताया शोक


-- समाचार डेस्क

बड़े शौक से सुन रहा था जमाना तुम्हें, तुम ही सो गए दास्तां कहते कहते...। ये उदगार शास्त्रीय संगीत के धरोहर और पलामू के मूर्धन्य कलाकार पंडित राजा राम मिश्र के निधन के उपरांत संगीत साधक और कला प्रेमियों के बीच से निकली । मौका था साझा मंच की ओर से आयोजित पंडित राजाराम मिश्र के श्रद्धांजलि सभा का। जहां जिले के अलग-अलग विधा के कलाकारों के संग कला प्रेमियों ने उन्हें अपनी रचनाओं, संस्मरण और अभिव्यक्ति के जरिये भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।

बुधवार को शहर के बंगला पुस्तकालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कला गुरु संगीतज्ञ स्वर्गीय मिश्र की तस्वीर के सामने दिप प्रज्वल्लन के पश्चात माल्यार्पण और पुष्पांजलि कर उनके द्वारा छोड़े गए विरासत को सहेजने के साथ उस परंपरा को और आगे ले जाने का संकल्प लिया। इस दौरान राम-श्याम बंधु के साथ अन्य कलाकारों ने भजन प्रस्तुत कर कला गुरु को नमन किया। मौके पर आकाशवाणी डालटेनगंज की कार्यक्रम प्रमुख मेरी कलौदिया सोरेंग ने कहा कि पंडित राजाराम मिश्र ने सदा सरल जीवन जिया और उसी सादगी से इस दुनिया को छोड़कर चले भी गये। जिस विरासत को छोड़कर वो गये है उसे संभालने और आगे बढ़ाने की जवाबदेही यहां के कलाकारो पर है।

राजनीतिज्ञ केडी सिंह ने कहा कि पलामू सांस्कृतिक विरासत का धनी रहा है। आज जब समाज से दया, करुणा, प्रेम जैसे मूल्य का ह्रास हो रहा है, ऐसे दौर में पंडित जी ने अपने कलाकर्म से इन मूल्यों को जीवित रखा और निरंतर आगे बढ़ने का काम किया। साहित्यकार हरिवंश प्रभात ने कहा कि उनमें एक महान कलाकार के साथ बड़प्पन, सहृदयता और आत्मीय भाव कूट-कूट कर भरा था। इनके निधन से कला और साहित्य जगत मर्माहत है। भजन गायक आशुतोष पाण्डेय ने पं मिश्र के सहजता और सरलता को बताते हुए गीत के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। पत्रकार और समाजसेवी अजीत पाठक कहा कि इनके निधन की खबर से पूरा पलामू गमगीन हो गया। इनकी कमी को पूरा कर पाना मुमकिन नहीं।

तबला वादक शिशिर शुक्ला ने कहा कि कलाकार एकजुट होकर हरेक कला को आगे बढ़ाने का संकल्प लें यही इनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। शास्त्रीय गायक रमेश पाठक ने स्व मिश्र को शास्त्रीय संगीत के धरोहर बताते हुए उनका जाना संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। अंत में पंडित राजाराम मिश्र की विरासत को आगे बढ़ाने वाले उनके सबसे छोटे सुपुत्र सूरज कुमार मिश्र व उनके छोटे भाई श्यामलाल मिश्र ने भी अपने पिता और भाई को नमन करते हुए अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी और कहा कि वह जिस विरासत को छोड़कर गए हैं उसे जिंदा रखने और आगे बढ़ाने की जवाबदेही अब हम सब के कंधे पर है। इस अवसर पर अगले साल जनवरी माह में पलामू के दिवंगत गायक कलाकारों की स्मृति में संगीतमय संध्या का आयोजन करने का निर्णय लिया गया।

श्रद्धांजलि सभा का संचालन सैकत चटर्जी ने किया। मौके पर उपेंद्र मिश्रा, शैलेंद्र कुमार, ब्रजेश शुक्ला, अशफ़ाक़ अहमद, प्रियरंजन पाठक, शालिनी श्रीवास्तव, प्रेम प्रकाश, पवन शर्मा, अभिषेक मिश्रा, सुजीत कुमार, मनोज सिंह, मो निशाद, सचितानंद तिवारी, उमाशंकर मिश्रा, स्मृति लाल, मुनमुन चक्रवर्ती, मनीषा, चंदा झा, उदय कुमार झा, हिमांशु त्रिवेदी, अविनाश तिवारी, सिकंदर, अमर कुमार भांजा, कामरूप सिन्हा समेत बड़ी संख्या में जिले के कलाकार व कलाप्रेमी उपस्थित थे।