विधायक की आपत्ति के बाद हरिहरगंज में वैक्सीनेशन मामले की जांच के लिए बनी पहली कमिटी भंग कर दूसरी जांच कमिटी बनायी गयी

After the objection of the MLA, the first committee formed to investigate the vaccination case in Hariharganj was dissolved and the second inquiry committee was formed

विधायक की आपत्ति के बाद हरिहरगंज में वैक्सीनेशन मामले की जांच के लिए बनी पहली कमिटी भंग कर दूसरी जांच कमिटी बनायी गयी

-- संवाददाता
-- 26 जून 2021

हरिहरगंज (पलामू) । पलामू सिविल सर्जन डा.अनिल कुमार सिंह ने शनिवार को हरिहरगंज सीएचसी पहुंचकर कोवैक्सीन की जगह कोविशिल्ड का टीका लगाए जाने मामले की जांच की। इससे पहले इस मामले में पूर्व की बनी जांच कमेटी को भंग करते हुए, नई जांच कमिटी का गठन किया । इसमें सीएस के अलावे डीपीएम दीपक कुमार तथा स्वास्थ्य प्रशिक्षक अतुल कुमार सिन्हा शामिल हैंं।

नई कमेटी ने सीएचसी पहुंचकर उक्त मामले में संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों से पूछताछ की । मालूम हो कि इस मामले में जांच के लिए पहले बनी कमिटी पर क्षेत्रीय विधायक कमलेश कुमार सिंह ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद सीएस ने नई कमेटी का निर्माण किया। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. गोपाल प्रसाद, डा. देवेंद्र कुमार, डा. अरुण सिंह सहित कई स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।

बता दें कि इसके पहले पलामू सिविल सर्जन दो दिन पूर्व गुरूवार को हरिहरगंज सीएचसी आकर वैक्सीनेशन मामले में लापरवाही उजागर होने पर सम्बन्धित स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सा पदाधिकारी से पूछ ताछ की थी। इसी वक्त उन्होंने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी थी। जिस कमिटी में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ गोपाल प्रसाद भी शामिल थे।

यह चर्चा का विषय बन गया था कि चिकित्सा पदाधिकारी की मौजूदगी में ही वैक्सिनेश में लापरवाही हुई थी तो जांच टीम में उनकी भागीदारी का क्या औचित्य है? प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से जैसे ही क्षेत्रीय विधायक कमलेश कुमार सिंह ने लापरवाही की खबर जानी वैसे ही सिविल सर्जन से पहली जांच टीम पर आपत्ति जताते हुए निष्पक्ष जांच पर जोर दिया।

मालूम हो कि हरिहरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते बुधवार को आधा दर्जन लाभुकों को कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड लगाए जाने के बाद आक्रोशित लाभुकों ने सीएचसी में हंगामा किया था। जहां प्रशासन के पहल पर बहरहाल मामला शांत भी हुआ था। जहां स्थानीय प्रशासन ने आक्रोशितों को समझाकर मामला को शांत किया था।जिसकी ख़बरें छपीं तो विभागीय अधिकारीयों ने इसे संज्ञान में लिया।