अंगद किशोर की सातवीं पुस्तक "पलामू का देवगन" का विमोचन

Angad Kishore's seventh book "Palamu Ka Devgan" released

अंगद किशोर की सातवीं पुस्तक "पलामू का देवगन" का विमोचन

-- संवाददाता
-- 17 जुलाई 2021

दिनांक 17-7-2021 को अंगद किशोर कृत इतिहास की शोधपरक पुस्तक "पुरातत्व, इतिहास एवं अध्यात्म का अनूठा संगम : पलामू का देवगन" का वर्चुअल विमोचन सेंट कोलंबस कालेज हजारीबाग के प्राध्यापक डॉ शत्रुघ्न कुमार पाण्डेय, डोरंडा कालेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य विमोचन डॉ रामप्रवेश, वरिष्ठ पत्रकार प्रभात कुमार मिश्र, इतिहासकार डॉ रमेश चंचल एवं डॉ अभिमन्यु प्रसाद के द्वारा संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भाषाविद चंद्रेश्वर प्रसाद तथा सफल संचालन प्रो सूरजदेव प्रसाद (मेरठ) ने किया।

वर्चुवल सभा को सम्बोधित करते हुए डॉ शत्रुघ्न कुमार पाण्डेय ने कहा कि अमूमन इतिहास का लेखन इतिहासकार अपने कमरे में बैठकर करते हैं, मगर बहुत कम लोग हैं, जो इतिहास की हकीकत का बयां जमीन पर जाकर करते हैं। उन्हीं कम लोगों में से इतिहासकार अंगद किशोर हैं। सचमुच ये अपनी मिट्टी का कर्ज अदा कर रहे हैं। प्रभात कुमार मिश्र ने अंगद किशोर कृत "पलामू का देवगन" का सांगोपांग व्याख्या करते हुए कहा कि पलामू की कभी राजधानी रह चुका देवगन आज भले विस्मृति एवं पिछड़ापन का शिकार है, मगर इसका मध्यकालीन इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण रहा है। इसपर इतिहास की रचना निश्चित रूप से सराहनीय पहल है।

डॉ रामप्रवेश ने अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि देवगन जैसे दुरूह और अविकसित क्षेत्र का इतिहास लेखनअत्यंत दुष्कर कार्य था,जिसे एक व्यक्ति की जुनून ने उसे संभव बनाया। इतिहास लेखन के क्षेत्र में अंगद किशोर की सक्रियता नि:संदेह प्रेरक और सराहनीय है। इतिहासकार डॉ रमेश चंचल ने कहा कि "पलामू का देवगन" पुस्तक पलामू के इतिहास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। मुख्य रूप से चेरो राजवंश का कालखंड चौंकाने वाला है, मगर तथ्यपूर्ण एवं यथार्थ है।

गुलाबचन्द अग्रवाल  डिग्री महाविद्यालय के प्राध्यापक राजमोहन राज ने अंगद किशोर के जीवन एवं कर्त्तृत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहासकार अंगद किशोर ऐसे शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी सृजनयात्रा साहित्य से प्रारंभ की है। उनकी ये सातवीं प्रकाशित पुस्तक है।
   
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में चंद्रेश्वर प्रसाद ने देवगन के इतिहास की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि तथ्यों तथा संदर्भों को लेकर लिखा गया यह इतिहास पठनीय है।इस वर्चुवल कार्यक्रम को सफल बनाने में डा अभिषेक कुमार गुप्ता, डॉ राजकुमार प्रसाद, अभिषेक कुमार, साहित्यकार विपिन बिहारी डा शिवकुमार विश्वकर्मा, नवीन कुमार सहाय, नगर पंचायत हुसैनाबाद के पूर्व उपाध्यक्ष श्रवण कुमार अग्रवाल, सर्वोदय विद्या भारती के निदेशक निरंजन प्रसाद,मनोज कुमार सिंह,हर्ष अंशुमान आदि लोग उल्लेखनीय हैं। सभा के अंत में धन्यवाद ज्ञापन सोन घाटी पुरातत्व परिषद के उपाध्यक्ष आलोक कुमार ने किया।