कौन है तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, जो बन सकता है अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति

Who is the Taliban leader Mullah Abdul Ghani Baradar, who can become the new President of Afghanista

कौन है तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, जो बन सकता है अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति

-- समाचार डेस्क
-- 17 अगस्त 2021

अफगानिस्तान पर लगभग पूरी तरह से अब तालिबान का कब्जा हो गया है। अफगानिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार गिर चुकी है। काबुल में तालिबान की एंट्री के बाद अशरफ गनी और उप राष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने देश छोड़ दिया है। ऐसे में अब सवाल है कि अफगानिस्तान की सत्ता किन तालिबान नेताओं के हाथ में आएगी?

इस सवाल के जवाब में एक नाम पर सबसे है ज्यादा चर्चा है, वो है मुल्ला अब्दुल गनी बरादर । सूत्रों ने बताया कि तालिबान के मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति घोषित किए जाने की संभावना है। बरादर तालिबान के सह-संस्थापकों में से एक है, जो अब विद्रोही समूह के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख है और दोहा में समूह की वार्ता टीम का हिस्सा है।

2010 में किया गया गिरफ्तार

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक है, जिसने वर्ष 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान का गठन किया था। साल 2001 में जब अमेरिका के नेतृत्व में अफगानिस्तान पर हुए आक्रमण में तालिबान को सत्ता से हटा दिया गया था तब वो नेटो सैन्य बलों के खिलाफ विद्रोह के प्रमुख बन गया था। बाद में फरवरी 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान के एक संयुक्त अभियान में उन्हें पाकिस्तान के कराची शहर से गिरफ्तार कर लिया गया था।

साल 2012 तक मुल्ला बरादर के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी। उस समय अफगानिस्तान सरकार शांति वार्ता को बढ़ावा देने के लिए जिन कैदियों को रिहा करने की मांग करती थी उनकी सूची में बरादर का नाम प्रमुख होता था। सितंबर 2013 में पाकिस्तानी सरकार ने उसे रिहा कर दिया, हालांकि ये स्पष्ट नहीं हो सका कि वो पाकिस्तान में ही रुका या कहीं और चला गया।

मुल्ला मोहम्मद उमर का सबसे भरोसेमंद सिपाही

मुल्ला बरादर तालिबान के नेता और संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर के सबसे भरोसेमंद सिपाही और डिप्टी था। जब उसे गिरफ्तार किया गया था तब वो तालिबान का दूसरा सबसे बड़ा नेता था। साल 2018 में जब कतर में अमेरिका से बातचीत करने के लिए तालिबान का दफ्तर खुला तो उसे तालिबान के राजनीतिक दल का प्रमुख बनाया गया।

कहा जाता है कि बरादर की बहन मुल्ला उमर की पत्नी थी। तालिबान के 90 के दशक के ताकतवर कुख्यात राज में वो दूसरा बड़ा नेता था। मुल्ला उमर के जिंदा रहते हुए वह तालिबान के लिए फंड जुटाने और रोजमर्रा की गतिविधियों का प्रमुख था। 1994 में तालिबान के गठन के बाद उसने एक कमांडर और रणनीतिकार की भूमिका में था। लिहाजा ये मान लेना कि अब उनके आने के बाद तालिबान राज में कोई लचीलापन आ जाएगा ये कहना बहुत मुश्किल है।

अमेरिका से वार्ता का समर्थक था बरादर

जब तालिबान को सत्ता से हटाया गया था तब बरादर तालिबान का डिप्टी रक्षा मंत्री था। उसकी गिरफ्तारी के समय अफगानिस्तान के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया था कि उनकी पत्नी मुल्ला उमर की बहन हैं। तालिबान का सारे पैसे का हिसाब वही रखता है। वो अफगान बलों के खिलाफ सबसे खूंखार हमलों का नेतृत्व करता था। तालिबान के दूसरे नेताओं की तरह ही मुल्ला बरादर पर भी संयुक्त राष्ट्र (UN) ने प्रतिबंध लगाए थे। उसकी यात्रा और हथियार खरीदने पर बैन था।

रिश्तेदार के साथ मिलकर बनाया तालिबान

बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी थी। वर्ष 1992 में रूसियों के बाहर निकलने के बाद प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया था। उस समय बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और रिश्तेदार मुल्ला मोहम्मद उमर के साथ मिलकर कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था। बाद में दोनों ने मिलकर साल 1994 में तालिबान की स्थापना की थी।

तालिबानियों ने अफगानिस्तान की राजधानी में किया कब्जा, राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भागे

तालिबान के उप नेता मुल्ला बरादर का कहना है कि उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि वो इस प्रकार से अफगानिस्तान पर जीत हासिल करेंगे। अफगानिस्तान के स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वीडियो संदेश में तालिबानी नेता ने कहा कि समूह की असली परीक्षा अब शुरू होगी, क्योंकि उन्हें देश के लोगों की सेवा करनी है। तालिबान ने न केवल अफगानिस्तान के बड़े शहरों में बल्कि अब राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा जमा लिया है।