बाल श्रम निरोध दिवस पर पलामू में कार्रवाई: श्रम विभाग और चाइल्ड लाइन ने 7 बाल मजदूरों को कराया मुक्त

बाल श्रम निरोध दिवस पर पलामू में कार्रवाई: श्रम विभाग और चाइल्ड लाइन ने 7 बाल मजदूरों को कराया मुक्त

-- अरूण कुमार सिंह

आज बाल श्रम निरोध दिवस है । इस अवसर पर‌ अपनी उपस्थिति जताते हुए श्रम विभाग और चाइल्ड लाइन ने बाल मजदूरी के खिलाफ छापेमारी करते हुए मेदिनीनगर शहर से सात बाल मजदूरों को मुक्त कराया । इन बच्चों को फिलहाल सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया गया है ‌। रेस्क्यू किये गये अधिकतर बच्चे सुदूरवर्ती गावों के हैं ।

पलामू-गढ़वा के 41 प्रखंडों में एक भी श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी नहीं

पलामू-गढ़वा के 41 प्रखंडों में एक भी श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी नहीं हैं । अकेले श्रम अधीक्षक एतवारी महतो पलामू और गढ़वा जिले के प्रभार में हैं । जिले भर से वर्ष 2022 में 6 और वर्ष 2023 में अब तक 8 बच्चों का रेस्क्यू किया गया है । इनके अतिरिक्त आज सात बच्चों का रेस्क्यू किया गया ।
पूर्व में रेस्क्यू किये गये बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है । गरीबी के जिस निर्मम अंधी कोठरी से निकालकर इनके माता-पिता ने इन्हें बाल मजदूरी करने को भेजा, उनकी वर्तमान स्थिति क्या है, पूर्व में रेस्क्यू किये गये बच्चों की स्थिति क्या है और उन परिवारों को कौन कौन सी सरकारी सुविधा मुहैया करायी गयी है, इसकी जानकारी श्रम अधीक्षक तथा सीडब्ल्यूसी के सदस्य धीरेन्द्र किशोर और सुधा देवी को भी नहीं है ।

पलामू में हजारों की संख्या में हैं बाल मजदूर, सामान्य से लेकर करते हैं खतरनाक काम तक

पलामू में हजारों बाल मजदूर हैं । घरेलू नौकर, होटल और ईंट भट्ठों से लेकर गाड़ी का लेबर और क्रसर तक पर । लेकिन श्रम विभाग के पास जब प्रखंडवार अधिकारी ही नहीं हैं तो इनकी गणना कौन करे और कौन इनपर नजर रखे ! मनातू और लेस्लीगंज इलाके से एक तरह से बाल मजदूरों की सप्लाई होती है । हर जगह पर एक दलाल है । बच्चे मंगवाने वालों से वह बंधी बंधाई रकम लेता है । बाल मजदूरी कर बच्चे जो कमाई करते हैं, उन पैसों को दलाल उनके परिवार तक पहुंचाने का जिम्मा लेता है । लेकिन डरावना सच यही है कि कुछेक अपवादों को छोड़कर अधिकतर बाल मजदूर नारकीय जीवन जीने को विवश हैं ।