कोरोना, बेरोजगारी, भूख और बेबसी की ये कहानी आपको रूला देगी  : 15 दिन से भूख से तड़प रहा था परिवार, पिता की लाश के साथ 3 दिन तक घर में बंद रहे मासूम...

This story of corona, unemployment, hunger and helplessness will make you cry: The family was suffering from hunger for 15 days, the innocent remained locked in the house for 3 days with the dead body of the father

कोरोना, बेरोजगारी, भूख और बेबसी की ये कहानी आपको रूला देगी  : 15 दिन से भूख से तड़प रहा था परिवार, पिता की लाश के साथ 3 दिन तक घर में बंद रहे मासूम...

-- विशेष संवाददाता
-- 16 जून 2021

पिता की लाश के साथ 3 दिन घर में बंद रहे मासूम

"हमारी मम्मी नहीं है । पापा कुंडे से लटककर तीन दिन पहले ही मर गये । हमें बहुत जोरों की भूख लगी है, कोई खाना दो न..." इसके बाद पड़ोसियों ने जब बच्चों के घर में खिड़की से झांककर देखा तो आंखें फटी रह गयीं । सचमुच एक व्यक्ति का शव उसके घर में ही फंदे से लटक रहा था...

यह घर और बच्चे बरेली (यूपी) के गायत्री नगर में रहने वाले मनोज दयाल (35) का था । मनोज नोएडा में एक निजी कंपनी में काम करता था। जब लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो वह वापस बरेली आ गया था । लॉक डाउन के दिनों में घर चलाना मुश्किल था । भीषण आर्थिक तंगी की वजह से हर दिन पति-पत्नी में झगड़े होते रहते थे । कुछ दिन पहले ही उसकी पत्नी उससे झगड़ा करके मायके चली गई थी । घर पर 4 और 6 साल के दोनों बच्चों को पति के पास छोड़ दिया था।

तीन दिन पहले जाने क्या हुआ कि बाद मनोज ने फंदे से लटककर खुदकुशी कर ली। तीन दिनों तक उसके दोनों बच्चे उसके शव के आसपास रोते रहे । आखिरकार बच्चों से भूख बर्दाश्त नहीं हुई । उन्होंने जब बाहर निकलकर पड़ोसियों से खाना मांगा तब पूरा मामला सामने आया । लोगों ने बच्चों की मदद की और फिर पुलिस और प्रशासन को घटना की जानकारी दी ।

15 दिन से भूख से तड़प रहा था परिवार, मदद मिली त रोने लगे...

अलीगढ़ के नगला मंदिर इलाके में एक परिवार पिछले 15 दिनों से भूख से तड़प रहा था । स्थिति ऐसी थी कि परिवार के सदस्य बोल तक नहीं पा रहे थे । NGO हैंड फॉर हेल्थ ने इस परिवार के 6 लोगों को रेस्क्यू किया ।

संस्था के लोग जब पीड़ित परिवार के यहां पहुंचे तो वहां गुड्डी देवी नाम की एक महिला और उसके 5 बच्चे भूख से छटपटाते रहे थे । इन लोगों में इतनी भी ताकत नहीं बची थी कि कुछ बोल सकें। संगठन के लोगों को देखते ही सभी रोने लगे। तुरंत पुलिस और प्रशासन की मदद से सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

गुड्डी के पति बिजेंद्र कुमार की कुछ साल पहले मौत हो गई थी । इसके बाद वह मजदूरी करके अपने 5 बच्चों का पेट पालती थी । लेकिन लॉकडाउन के चलते उनका रोजगार भी छीन गया। किसी तरह कुछ दिन तक महिला ने घर का खर्च चलाया। फिर जब पैसे खत्म हो गए तो आस-पास के लोगों से मांगकर कुछ दिन बच्चों का पेट भरा । जब आसपास के लोगों ने भी मदद देने से इंकार कर दिया तो बच्चों सहित महिला चुपचाप अपने घर में कैद हो गयी । घर में अन्न का एक दाना नहीं था । इस मामले पर डीएम ने नगला मंदिर के ग्राम प्रधान और राशन डीलर के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं ।