गाजे-बाजे के साथ संपन्न हुई मेढ़क-मेढ़की की अनोखी शादी, सैकड़ों ग्रामीण बने बाराती

Frog-Frog's unique marriage concluded with a melody, hundreds of villagers became wedding procession

गाजे-बाजे के साथ संपन्न हुई मेढ़क-मेढ़की की अनोखी शादी, सैकड़ों ग्रामीण बने बाराती

-- बलराम शर्मा
-- 16 अगस्त 2021

गढ़वा । जिले के मेराल प्रखंड अंतर्गत बाना गांव में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार रविवार को धूमधाम के साथ मेंढक मेंढकी की शादी संपन्न हुई। इस शादी के लिए गांव के दुर्गा मंडप को खूब सजाया गया था। गाजे बाजे के साथ मेढ़क मेढ़की की बारात निकली और बारात में बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे और अन्य ग्रामीण बाराती बने। खास रूप से सजाए गए दुर्गा मंडप में मेढ़क दूल्हा बना और मेढ़की दुल्हन । इनकी अनोखी शादी पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न कराई गई।

1966 के अकाल में गांव के जमींदार महेश्वर नाथ ने वर्षा होने के लिए कराई थी मेंढक मेढ़की की शादी

बताते चलें कि 1966 के अकाल के समय गांव के जमींदार महेश्वर नाथ ने गांव में वर्षा होने के लिए मेंढक और मेढकी की शादी कराई थी। जिसके बाद गांव में अच्छी वर्षा हुई और अकाल का साया धीरे-धीरे इस इलाके से उठ गया था । गांव में अकाल फिर से न पड़े, इस वास्ते टोटके के रूप में तब से हर साल यह परंपरा चली आ रही है। गांव के प्रधान को प्रतिवर्ष मेढक और मेंढकी की शादी करानी होती है। यह आयोजन बड़े ही धूमधाम से की जाती है । शादी की तरह ही ढोल बाजा तथा नाच गान भी होता है।

परंपरा के अनुसार कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे मुखिया विजय सिंह ने कहा हमारे पूर्वजों ने इसकी शरुआत की थी। तब से ये परंपरा चली आ रही है। इससे गांव पर किसी प्रकार की मुसीबत नहीं आती है । आप इसे अंधविश्वास कह सकते हैं । लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह आस्था और विश्वास का मामला है ।