पलामू : नाबालिग बेटियों पर मानव तस्करों की नजर, कई बिन ब्याही मां बनीं तो कुछ अभी तक हैं गायब
Palamu: Human smugglers keep an eye on minor daughters, many have become unmarried mothers and some are still missin
-- अरूण कुमार सिंह
-- 28 जुलाई 2021
भूख, अकाल, बेरोजगारी, अपराध, नक्सलवाद, बंधुआ मजदूरी, बाल और बंधुआ मजदूरी जैसी नकारात्मक गतिविधियों के लिए चर्चित पलामू में इन दिनों मानव तस्करी चरम पर है । यह नया नहीं है । पहले भी मजदूरों की तस्करी होती रही है । नाबालिग बच्चे भी घरेलू और अन्य कार्यों के लिए बेचे जाते रहे हैं । लेकिन कोरोना काल के बाद बदतर हुये हालात में बढ़ रही गरीबी और बेरोजगारी ने मानव तस्करी को और बढ़ावा दिया है और इस बार मानव तस्करों की जद में गरीब और जनजाति परिवारों की बच्चियां हैं ।
मनातू की एक नाबालिग लड़की जो 2020 में घर लौटी, उसके पेट में 5 माह का गर्भ था । इस बावत मनातू थाना में केस भी दर्ज हुआ था । गरीबी के कारण वह पेट में पल रहे अपने बच्चे को बचा नहीं पायी थी । परिजनों ने गरीबी और ना समझी के कारण उसका परित्याग कर दिया था । अभी वह अपनी बहन के यहां रह रही है ।
अनाथ बच्चों पर रहती है मानव तस्कर दलालों की नजर
सामाजिक कार्यकर्ता मो० हशमत रब्बानी ने बताया कि जागरूकता अभियान के दौरान उन्हें पता चला कि मासोमात दुलारी देवी का 7 वर्षीय बेटा पिछले 3 साल से मिसिंग है । इसी तरह स्व टनक परहिया का 6 वर्षीय बेटा 3 साल से गायब है । उन्हें ज्ञात सूत्रों से पता चला कि गांव और आसपास के दूसरे समुदाय के लोग परहिया जाति के दलाल को मिलाकर गांव के विलुप्त हो रही जनजातीय बच्चों और लड़कियों की तस्करी कर रहे हैं । हर वक्त उनकी नजर अनाथ बच्चों पर रहती है ताकि गरीब और कमजोरी का फायदा उठाया जा सके ।
हशमत ने बताया कि दो नाबालिग लड़की राधा और मंजू (बदला हुआ काल्पनिक नाम) 7 वर्ष पूर्व तस्करी का शिकार हुयी थी । इस सम्बन्ध में मनातू थाना कांड 36/20 एवं 39/20 दर्ज है । इनमें एक लड़की 7 वर्षों बाद घर लौटी । अभी वह लगभग 21वर्ष की है । जब वह तस्करी का शिकार हुयी थी, उस समय उसकी अवस्था लगभग 14 वर्ष रही होगी । दोनों केस में दो नाबालिग लड़कियां 7 सात वर्षों बाद लौटी हैं । भुक्तभोगी को सुरक्षित एवं संरक्षण देकर पूछताछ करने पर बड़े खुलासे हो सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि गरीबी और भुखमरी के कारण विलुप्त हो रही परहिया जनजाति के लड़कियों और बच्चों का स्थानीय समाज के दबंग लोग झूठी लालच देकर तस्करी कर रहे हैं । लड़कियों को सात वर्ष तक काम करने के बाद एक रुपया भी नहीं मिला । सब पैसा दलाल खा गए । एक एक परहिया के 5-6 बच्चे हैं । दलदलिया ग्राम में आदिम जनजाति परहिया समुदाय के लगभग 110 बच्चे हैं, जिन्हे शिक्षित करने के साथ संरक्षित करने की जरुरत है । स्कूल है, परन्तु कोई बच्चा साक्षर नहीं है । अशिक्षित होने का लाभ बिचौलिए उठा रहे हैं । परहिया समुदाय में कई लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है । कई लोगों का घर नहीं है ।हमलोगों ने स्वयं जाकर देखा कि बोधि परहिया और सोमार परहिया गिरे हुए घर में कुत्ते के साथ रहते हैं । एक ही प्लेट में खाना खाते हैं । बारिश के दिनों में स्कूल की बिल्डिंग में शरण लेते हैं ।
उन्होंने कहा कि हमारी टीम मनातू थाना प्रभारी से मिलकर दोषी को सजा देने की वकालत की है । हम उपायुक्त और पलामू पुलिस अधीक्षक से मनातू सहित पूरे पलामू को महिला और बच्चों का तस्करी रोकने में मदद का अनुरोध करते हैं । हमने कहा है कि मानव तस्करी को रोकने के लिए:- अति संवेदनशील समुदायों के लिए जीविकोपार्जन और शैक्षणिक कार्यक्रम चलाना, तस्करी को रोकने के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के कार्यान्वयन को आसान बनाना, और तस्करी के निवारण को सुनिश्चित करने के लिए कानून और व्यवस्था संबंधी फ्रेमवर्क बनाना ।
मानव तस्करी सभ्य समाज पर कलंक, आपसी सहयोग से लगेगी रोक : हशमत
उज्जवला योजनान्तर्गत मनातू प्रखंड के दलदलिया परहिया टोला में जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया । इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता एवं उज्जवला गृह के संचालक मो० हशमत रब्बानी, उज्जवला गृह की प्रबंधक स्वर्णलता, रंजन उड़ान परियोजना के प्रखंड समन्वयक नम्रता कुमारी ने अपने विचार रखे । इस अवसर मंच के सचिव मो० हशमत रब्बानी ने कहा कि मानव तस्करी सभ्य समाज पर कलंक है जिसे आपसी सहयोग से समाप्त किया जा सकता है । उज्जवला गृह की प्रबंधक सुश्री स्वर्णलता रंजन ने कहा कि मानवता को शर्मसार करती मानव तस्करी, अशिक्षा और गरीबी मानव तस्करी का मूल कारण है । इसलिए परहिया समुदाय के बच्चों को शिक्षित बनाया जाए और इनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए ।