झारखंड के एक गांव का हाल : जब पूरा गांव हो गया पुरूष विहीन तब महिलाओं ने दिया शव को कंधा और किये अंतिम संस्कार

अपना हिन्दुस्तान डेस्क । झारखंड के घाटशिला की कालचिती पंचायत में एक गांव है - रामचंद्रपुर । इस गांव में 28 सबर परिवार रहते हैं। सबर विलुप्त हो रही जनजाति है । लगभग 80 लोगों की आबादी वाले जंगल के बीच बसे इस गांव के सभी पुरुष तमिलनाडु और केरल में किसी कंपनी में मजदूरी करते हैं। गांव में रह रहे एकमात्र पुरुष जुंआ सबर (40 वर्ष) की भी बुधवार की रात मौत हो गई। जुंआ की मौत के बाद पूरे गांव में एक भी पुरूष नहीं बचा । लिहाजा, जुंआ के शव को महिलाओं ने ही कांधा दिया और अंतिम संस्कार भी किया ।
मृतक की बेटी ने अन्य महिलाओं के साथ मिलकर तैयार की अर्थी...
जुंआ की पहली पत्नी की मौत पहले ही हो चुकी है। उसका एक बेटा श्यामल सबर (17) तमिलनाडु गया हुआ है। दूसरी पत्नी गुलापी सबर को एक पुत्र 10 वर्ष का है, जो रिश्तेदार के यहां गया है। ऐसे में गुरुवार को जुंआ की बेटी और गांव की अन्य महिलाओं ने अपने हाथों ने अर्थी तैयार की। इसके बाद अंतिम यात्रा निकाली। इस यात्रा के दौरान राह की अन्य महिलाएं भी साथ होती गईं। सभी ने मिलकर शव को कंधा देकर श्मशान तक पहुंचाया। अंतिम यात्रा में पत्नी भी शामिल थीं। 14 साल की बेटी ने संतान होने का फर्ज निभाया और जुंआ सबर को गड्ढा खोदकर दफन संस्कार पूरा किया।
पलायन के दर्द का जीता जागता उदाहरण है रामचन्द्रपुर
इस गांव में रोजी-रोजगार के लिए सभी पुरुष तमिलनाडु और केरल जैसे सुदूरवर्ती राज्यों में हैं। जहां से तत्काल पहुंच पाना संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में मृतक की बेटियों ने ही बेटे होने का फर्ज निभाया । विस्थापन का यह दर्द वैसे तो हर जगह है लेकिन झारखंड में यह विस्थापन इसलिए भी अधिक है क्योंकि राज्य में रोजगार की भारी कमी है ।