विद्या विहार वाटिका का पांच दिवसीय रजत जयंती समारोह का हुआ समापन

विद्या विहार वाटिका का पांच दिवसीय रजत जयंती समारोह का हुआ समापन

पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड अंतर्गत लठेया ग्राम में अवस्थित विद्या विहार वाटिका की स्थापना के 25 वर्ष पूरे हो गए। इस उपलक्ष्य में दिनांक 26-01-2025 से 30-01-2025 तक पांच दिवसीय रजत जयंती समारोह का आयोजन किया गया । दिनांक 30-01-2025 को सायंकालीन सत्र में भव्य दीपोत्सव एवं श्री राम कथा के साथ समारोह का समापन किया गया। इस अनूठे कार्यक्रम के आयोजक तथा विद्या विहार वाटिका के महानिदेशक डॉ. रामरेश यादव ने कहा कि यह कार्यक्रम अद्भुत रहा। किसी विद्यालय के द्वारा आयोजित यह बहुआयामी कार्यक्रम अद्वितीय है।

विद्या विहार वाटिका, लठेया (पलामू) की स्थापना 30 जनवरी 2000 को हुई थी। तब से लेकर आज तक इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर अनेक विद्यार्थी विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी पदों पर आसीन होकर निष्ठा और लगन के साथ सेवा दे रहे हैं। पूरे इलाके में विद्या विहार वाटिका द्वारा प्रदत शिक्षा और संस्कार का स्पष्ट प्रभाव दिखता है। यहां के विद्यार्थी देश तथा दुनियां के जिस कोने में हैं, वहां उनके साथ इस विद्यालय का अद्भुत अनुशासन तथा विराट व्यक्तित्व का प्रभाव साफ नजर आता है।

श्री राम कथा के क्रम में महानिदेशक डॉ रामरेश यादव ने जटायु के प्रसंग का हवाला देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में पशु-पक्षी तक मां बहनों की मर्यादा बचाने के लिए अपना बलिदान दे देते हैं। फिर हम तो मनुष्य हैं। आज मां बहनों की मर्यादा जिस प्रकार तार-तार हो रही है, उसे देखकर हमारा कलेजा मुंह को आ जाता है। हमें अपने ऋषियों के बताए मार्ग पर चलकर अपने उत्तम चरित्र तथा पावन व्यक्तित्व को निर्माण करने की जरूरत है। वहीं माता शबरी के जीवन प्रसंग को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि माता शबरी अपना संपूर्ण जीवन राम की भक्ति एवं उनके दर्शन की आस में बीता दी। उनके अद्भुत धैर्य और विश्वास के कारण राम को आकर दर्शन देना पड़ा। आप भी अपने जीवन में यदि शबरी की तरह धैर्य और विश्वास के साथ पुरुषार्थ करते जाएंगे तो ऊंचे से ऊंचे लक्ष्य को निश्चित ही प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं को यह भी बताया कि रावण से उसकी मृत्यु के पहले पूछा गया कि आप अब इस दुनियां को छोड़कर जा रहे हैं। परंतु, एक जिज्ञासा है जिसका समाधान अपने मुखारविंद से करने की कृपा करें। आप राजा हैं, राम राजकुमार हैं। आप घर में हैं, राम बाहर अर्थात विदेश में हैं। आपके साथ कुशल और युद्ध प्रवीण सैनिक हैं, राम के साथ सैनिक के रूप में बंदर भालू हैं। आपके पास एक से बढ़कर एक अस्त्र-शस्त्र हैं, राम के पास धनुष-वाण, गद्दा, पेड़-पौधे हैं। इसके बाद भी आप हार गए और राम जीत गए। इसका क्या कारण है?  इन प्रश्नों के जवाब में रावण ने कहा कि सब कुछ मेरे पक्ष में था, हर क्षेत्र में मैं आगे था, परंतु मेरी पराजय का एक ही कारण है और वह है कि  राम चरित्रवान हैं और मैं चरित्रहीन था। इस प्रकार चरित्र में अद्भुत ताकत होती है। सभी अपने चरित्र को उत्तम बनाए रखें। यदि आपका चरित्र उत्तम होगा तो बड़ी से बड़ी आसुरी शक्तियां भी आपको पराजित नहीं कर पाएंगी। इस प्रकार सुप्रसिद्ध विचारक चिंतक एवं साहित्यकार डॉ रामरेश यादव के द्वारा संगीतमयी श्री राम कथा के दौरान विभिन्न प्रसंगों की अद्भुत व्याख्या की गई।

सायंकालीन समापन सत्र की शुरुआत दीपोत्सव से हुई। पूरे क्षेत्र के सभी गांवों के कुछ घरों तथा सभी मंदिरों में दीपोत्सव हुआ एवं विद्या विहार वाटिका प्रांगण में ढ़ाई हजार एक दीप जलाए गए एवं डांडिया नृत्य हुआ जिसमें लगभग ढाई सौ महिलाएं भाग लीं। यह अद्भुत सुनहरा दृश्य देखते ही बनता था। उपस्थित सभी लोगों का मन उत्साह से भरा था। देखते ही देखते सभी लोग खुशी से नाच उठे और जश्न में डूब गए। ऐसा कार्यक्रम शायद विद्यालय स्तर पर कहीं नहीं हुआ होगा। महानिदेशक महोदय ने गदगद और उत्साहित स्वर में कहा की विद्यालय की स्थापना के समय ही मैंने एक सपना देखा था कि विद्या विहार वाटिका जब 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती मनाएगी तो समारोह अद्भुत होगा। ऐसा समारोह आयोजित होगा जैसा भारत वर्ष में किसी भी विद्यालय के द्वारा नहीं किया गया होगा‌। आज वह सपना साकार हो गया।

समारोह में वाटिका के अनेक पूर्व विद्यार्थी जो कई सरकारी एवं गैर सरकारी पदों पर कार्यरत हैं, यथा - डॉ अभिषेक प्रसाद, गौतम प्रसाद, निधि गुप्ता, हरेंद्र प्रसाद, चंद्रशेखर प्रसाद, पंकज पासवान आदि ने अपने भावोद्गारों को व्यक्त किया। विद्यालय के सभी पूर्व एवं वर्तमान शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों तथा उपस्थित कई अन्य लोगों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्राचार्या सुप्रिया सिंह, शिक्षक प्रमोद कुमार, मालिक चंद कुमार रवि, दिनेश कुमार यादव, एम के दीपक, महेश्वर यादव, अजीत कुमार, दीपक कुमार, सुधीर कुमार तथा शिक्षिका वर्षा कुमारी, रीता कुमारी, दीप ज्योति सिंह, ब्यूटी कुमारी आदि ने भरपूर सहयोग किया। कई विद्यार्थियों और ग्रामीणों ने कार्यक्रम की सफलता पर बधाई भी दी और सफल आयोजन हेतु आर्थिक सहयोग भी किया। विद्यार्थियों के द्वारा एक से बढ़कर एक गीत, संगीत, नृत्य आदि प्रस्तुत किए गए। निधि गुप्ता, रिया, चांदनी, ज्योति, अंशुप्रिया, संगम, साक्षी, सत्यम, पीयूष, ज्योति, नीलम, खुशी, गौतम, छोटू, शिवम, अभिमन्यु, अनुषा, सोनाली, आदि अनेक विद्यार्थी कार्यक्रम में छाए रहे। विजय विश्वकर्मा, रामजस कुमार, उमेश कुमार, उपेंद्र कुमार धनंजय कुमार ने संगीत के माध्यम से सबका मन मोह लिया।