रतन नवल टाटा के लिए पलामू के छतरपुर में आयोजित हुई श्रद्धांजलि सह शोक सभा : जानिये इस आयोजन के मायने

रतन नवल टाटा के लिए पलामू के छतरपुर में आयोजित हुई श्रद्धांजलि सह शोक सभा : जानिये इस आयोजन के मायने

-- अरूण कुमार सिंह

प्रसिद्ध उद्योगपति और सही अर्थों में देश के 'रतन' माने जानेवाले रतन नवल टाटा जी की याद में देश के विभिन्न शहरों में हर दिन कार्यक्रम हो रहे हैं । लेकिन उनकी याद में पलामू में पहला कार्यक्रम छतरपुर के सुप्रसिद्ध विजय तारा होटल में शुक्रवार को आयोजित हुआ । आयोजक थे होटल मालिक रविशंकर सिंह उर्फ बबुआ जी । कार्यक्रम में शहर के कई गणमान्य लोगों के अलावे छतरपुर डीएसपी अवध यादव, बबुआ जी के बड़े भाई राजेन्द्र सिंह उर्फ राजन बाबू, जेएमएम नेता चंदन प्रकाश सिन्हा, व्यवसायी मुन्ना जायसवाल सहित स्थानीय पत्रकारों की भी मौजूदगी रही । कार्यक्रम का संचालन पत्रकार सह समाजसेवी अरविन्द गुप्ता उर्फ चुनमुन ने किया । इस अवसर पर लोगों ने अपने अपने तरीके से रतन टाटा जी को याद किया ।

क्या है रतन टाटा होने के मायने...

रतन नवल टाटा होने के मायने आज हर पढ़ा लिखा देशवासी तलाश रहे हैं और उनके होने और फिर न होने की व्याख्या भी अपने अपने तरीके से कर रहे हैं जो लाजिमी है‌ । लेकिन रतन टाटा का जाना...मतलब कि एक ऐसे इंसान का जाना जिन्होंने अकूत संपत्ति रहते हुए आदमियत की हमेशा नयी नयी परिभाषाएं गढ़ीं । जिन्होंने अपनी कमाई का 66% हिस्सा हमेशा दान किया । सूई से लेकर नमक तक बनाने वाले टाटा की हजारों बेहतरीन कहानियाँ हैं । इन सभी कहानियों में रतन टाटा, सचमुच रतन थे ।

मैंने सोशल मीडिया पर लिखा था - वक्त और सरकार साथ दे तो कोई भी उद्योगपति अडाणी-अंबानी हो सकते हैं लेकिन रतन टाटा होना थोड़ा मुश्किल है । लेकिन अपने सुकृत्यों से कोई 'रतन' ही हमेशा याद रहा करते हैं और देहावसान के उपरांत भी, उन लोगों को भी हमेशा याद रहा करते हैं जो उनसे कभी नहीं मिले...। मैं हमेशा यह सोचता हूं कि टाटा ने अगर देश का सबसे बड़ा कैंसर हॉस्पिटल न दिया होता तो आज देश में कैंसर रोगियों की क्या स्थिति होती...? झारखंड के लोगों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए भी रतन टाटा ने यहां 2018 में कैंसर अस्पताल की नींव रखी है । अस्पताल का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा और यह पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल होगा ।

सबसे बड़ा दानवीर : परमार्थ के लिए 1200 करोड़ रूपये से अधिक खर्च करता है टाटा ट्रस्ट

टाटा ट्रस्ट सामान्य हालात में भी हर साल परमार्थ के लिए 1200 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करता है । रतन टाटा ने अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा हमेशा दान किया । वे अक्सर कहा करते थे कि इसी मिट्टी पर रहना है और फिर इसी में मिल जाना है । टाटा ट्रस्ट को दुनिया का सबसे पुराना फाउंडेशन माना जाता है । यह ट्रस्ट शिक्षा और स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा दान करता है । 100 वर्षों में टाटा ग्रुप ने 7.60 लाख करोड़ रुपये दान किए । टाटा ग्रुप के जमशेदजी टाटा के नाम 100 वर्षों में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 7.60 लाख करोड़ रुपये दान करने की उपलब्धि है । टाटा शिक्षा एवं विकास ट्रस्ट ने 28 मिलियन डॉलर का छात्रवृत्ति कोष दिया था ताकि कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में भारत के ग्रेजुएट छात्रों को स्कॉलरशिप मिल सके । टाटा ग्रुप ने कोरोना महामारी के दौरान 1500 करोड़ रुपये का दान किया था ।

रतन टाटा जी के लिए पलामू में पहली श्रद्धांजलि सभा छतरपुर में ही क्यों...?

छतरपुर जैसे छोटे जगह पर रतन नवल टाटा जी के लिए जिले में पहला श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होना बड़ा मायने रखता है । इस कार्यक्रम की बावत आप सिर्फ इतना भर ही नहीं कह सकते कि एक व्यवसायी ने दूसरे व्यवसायी को याद किया ! क्योंकि व्यवसायी तो जिले भर के शहरों में फैले हैं...!


जिन बबुआ जी ने इस श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था, उनकी बावत चार पंक्ति लिखे बिना यह रपट अधूरी रहेगी । कुछ लिखने के पहले यह स्पष्ट कर दूं कि चाटुकारिता मेरी आदतों में कभी भी शुमार नहीं रही । न ही मैं रतन नवल टाटा जी की तुलना किन्हीं से करने के लिए यह सब लिख रहा हूं । मुझे बस, इतना लगा कि यह लिखना चाहिए ।

छतरपुर में बबुआ जी से बहुत अधिक पैसा बहुत लोगों ने कमाया है । लेकिन बबुआ जी ने अपनी कमाई से छतरपुर को न सिर्फ विजय तारा होटल जैसा एक बेहतरीन होटल और रिजॉर्ट दिया बल्कि अपने पैतृक गांव उदयगढ़ में सैंकड़ों पौधे भी लगवाये । कई कई बार अपनी स्वर्गीया माताजी की पुण्यतिथि पर दर्जनों प्रसिद्ध चिकित्सकों से सैंकड़ों मरीजों के मुफ्त इलाज भी करवाये । सांस्कृतिक हस्तियों से लेकर धार्मिक हस्तियों तक को छतरपुर बुलवाया । इन सबसे बड़ी बात यह कि वे हजारों लोगों को मदद करते रहे हैं । बेहिचक कह सकता हूं कि दिवंगत रतन नवल टाटा जी के बहुत सारे गुण बबुआ जी में हैं और ऐसे में अगर रतन टाटा जी के लिए जिले भर की पहली श्रद्धांजलि सभा विजय तारा होटल में आयोजित हुई तो यह बिल्कुल भी अचरज की बात नहीं है । रतन टाटा की याद में हर वही व्यक्ति सिर झुका सकते हैं जिन्हें पता है कि इसी मिट्टी पर रहना है और फिर इसी मिट्टी में एक दिन मिल भी जाना है...