धार्मिक आयोजनों के लिए पौराणिक काल से ही अग्रणी रहे हैं पलामूवासी : पलामू के प्राचीनतम इतिहास में धर्म व पौराणिक परम्पराओं का रहा है अहम रोल
-- एपी लक्की , मेदिनीनगर, पलामू की कलम से
पलामू । संत... ये शब्द ही शांति प्रदान करते हैं। संतों के पदार्पण, समागम एवं संगत से सुख, शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। जिसका प्रमाण है प्राचीन, पौराणिक, परंपरागत जिला पलामू। जीवनधारा कोयल नदी और अमानत के संगम पर संत शिरोमणि लक्ष्मी प्रपन्न जीयार स्वामी महाराज का चतुर्मास महायज्ञ प्रारंभ है... और आश्चर्य मत किजिए, सिर्फ पलामू में 15 सितंबर को 110 मिलिमीटर से अधिक बारिश हुई है।
इस वर्ष अच्छी बरसात नहीं होती तो किसान को तो छोड़ दीजिए, पीने का पानी के लिए तरस कर शहर से भागना पड़ता। मगर पावन धरा धाम सिंगरा में यज्ञ, अनुष्ठान के साथ श्री जीयार स्वामी महाराज की मौजूदगी मात्र से सुखाड़ ग्रस्त पलामू पानी - पानी हो गया। मौसम विभाग के अधिकारी की बातों को गौर से सुनेंगे तो लगेगा जैसे बंगाल की खाड़ी में जो दबाव क्षेत्र बना है मानों पलामू प्रमंडल के लिए ही है। क्योंकि मानचित्र के अनुसार 14 सितंबर की शाम से मुसलाधार बारिश ने आश्चर्यचकित कर रखा है। सबके चेहरों पर (खासकर किसान) मुस्कान के साथ चमक आ गई है। 15 सितंबर को रेड अलर्ट दक्षिण भाग सिंहभूम क्षेत्र में अत्यधिक बारिश हुई है, लेकिन पलामू प्रमंडल में ओरेंज एलर्ट है यानि कि 10-20 सेंटीमीटर ( करीब 110 मिलीमीटर से अधिक बारिश) दर्ज की गई। लेकिन 16 सितंबर को बादल झारखंड से छत्तीसगढ़ की ओर चल पड़े हैं... लेकिन सौभाग्यवश पलामू में आज भी ओरेंज एलर्ट जारी है... और रिमझिम रिमझिम बारिश ने मौसम सुहाना कर रखा है। ये संभव हो पाया है धर्म की ताकत से। संतों का आगमन, धर्मानुरागी का समागम, दानवीरों का संगम ही अकाल-सुखाड़, आपत्ति-विपत्ति को दूर कर समृद्धि प्रदान करती है।
संतों की उपस्थिति की चर्चा में विद्वतजनों द्वारा एक और बात सामने आई कि पिछले वर्ष के अंत में नवंबर माह में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत पुराण कथा सप्ताह का आयोजन गौशाला मैदान, हाउसिंग कॉलोनी में आयोजित था। परमपूज्य श्री गौरवानंद जी महाराज, परमपूज्य श्री उदितानंद जी महाराज के पावन सानिध्य में धर्मपरायण भक्तों द्वारा पलामू में सुख, शांति, समृद्धि के लिए अनुष्ठान संपन्न हुआ था, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने मोक्षदायिनी श्रीमद्भागवत कथा सुनायी थी। जिसका प्रतिफल दिख रहा है कि चार साल से पथरा चुकी आंखों को झूमता मानसून ने सराबोर कर दिया।
बरसात समय से अपने साथ खुशहाली लेकर आया है। हर खेत-खलिहान, नदी-नाले लबालब भरे पड़े हैं। खेतों में हरियाली भरे अनाज के पौधे लहलहा रहे हैं। ये संभव हो पाया है पलामू के दानवीरों के बदौलत। राष्ट्रीय परशुराम युवा वाहिनी के मुख्य संरक्षक सनातनी धर्मरक्षक अर्जुन पाण्डेय उर्फ गुरु पाण्डेय ने इतना बड़ा आयोजन सुरक्षित, व्यवस्थित एवं ऐतिहासिक रूप से सफलतापूर्वक संपन्न कराया। श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का लाभ पांच वर्षों तक प्रकृति का सहयोग के रूप में आशिर्वाद मिलता है, ऐसी मान्यता है। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में अव्वल राष्ट्रीय परशुराम युवा वाहिनी के सफल आयोजन के उपरांत भी बड़े संतों को आमंत्रित करने के लिए पलामू लालायित रहता है। अभी सिंगरा में लक्ष्मी प्रपन्न जीयार स्वामी महाराज की कुटिया लगी है, श्रद्धालु प्रवचन का लाभ ले रहे हैं, धर्मानुरागी दान कर पुण्य के भागी बन रहे हैं। जो बताने के लिए काफी है कि पलामू धर्म के क्षेत्र में पौराणिक तो है ही परंपरा को निभा कर प्राचीनतम इतिहास को जीवंत बनाए हुए है। जिसका लाभ पलामू के समस्त जनमानस को मिल रहा है। लोग कहने पर मजबूर हो गए कि धर्म की राह पर चलिए तभी समृद्धि मिलेगी। हां इसमें रोड़े बहुत हैं मगर उससे कहीं ज्यादा पलामू के हिम्मतवाले सनातनी भी हैं।