मंत्री राधाकृष्ण किशोर की शिकायत पर तीन सदस्यीय कमिटी करेगी NPU के भवन निर्माण में बरती गयी अनियमितताओं की जांच

रांची । राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर की शिकायत पर तीन सदस्यीय कमिटी पलामू में लगभग 125 करोड़ रुपये की लागत से नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में बरती गयी अनियमितताओं की जांच करेगी । राज्य के राज्यपाल ने कमिटी गठित करते हुए संबद्ध आदेश जारी कर दिये हैं ।
इस बावत वित्त मंत्री श्री किशोर ने उनसे मिलकर शिकायत की थी । राज्यपाल को सौंपे गये शिकायत पत्र में वित्त मंत्री की ओर से कहा गया था कि - "कई छात्र संगठन ने मुझसे मिलकर शिकायत की थी। उनके शिकायत पर मैं दिनांक 11.02.2025 को विश्वविद्यालय के निर्मित भवन को देखने गया था। मैंने पाया कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक तथा एकेडमिक भवन में लगाये गये खिड़की-दरवाजे की गुणवत्ता संभवतः तय मानकों के अनुरूप नहीं है। एकेडमिक भवन के खिड़कियों में ग्रिल नहीं लगाया गया है। परिणाम स्वरूप सुरक्षा खतरों से इनकार नहीं किया जा सकता है। मेरे विश्वविद्यालय के निरीक्षण के क्रम में कुलसचिव श्री शैलेश कुमार मिश्रा उपस्थित थे। उन्होंने मुझे बताया कि निर्मित भवनों में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। कुलसचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा प्रशासनिक और एकेडमिक भवन को हस्तगत कर लिया गया है। एकेडमिक भवन में पेयजल की सुविधा नहीं रहने के कारण सभी कक्षाओं का अध्ययन कार्य नहीं हो रहा है। वहां छात्र संगठन से जुड़े कुछ लोगों ने मुझे यह भी बताया कि निर्मित भवन की दीवार में हल्की दरारें भी आ गयी हैं। शंका उत्पन्न करने वाली बात यह है कि बिना पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराये, भवन में लगाये गये दरवाजा- खिड़की में घटिया सामग्री तथा प्राक्कलन में उल्लेखित कार्यों का सत्यापन किए बिना कुलसचिव श्री मिश्रा के द्वारा भवन का हैंडओवर क्यों लिया गया? जानकारी मिली है कि नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के भवनों के निर्माण में करीब 350 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आने वाला है। भवनों तथा आवास इत्यादि के निर्माण के पूर्व पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना इतने विशाल भवन के निर्माण का क्या औचित्य था? यह तो जांच के उपरांत ही पता चलेगा कि विश्वविद्यालय का निर्माण मानक के अनुरूप किया गया है या नहीं? परंतु जिस तरह विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री शैलेश कुमार मिश्रा के द्वारा आनन-फानन में भवन को हैंडओवर कर लिया गया उनके इस कृत्य से उनकी भूमिका संदेहास्पद प्रतीत होती है। मेरे दृष्टिकोण से नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के निर्मित भवनों की गुणवत्ता की जांच कराना आवश्यक है। अतः आपसे अनुरोध है कि उक्त के आलोक में अपने स्तर से सांगोपांग निर्णय लेने की कृपा करेंगे। -- राधाकृष्ण किशोर ।"