यहां के आधे दर्जन से अधिक पहाड़ों को पत्थर माफिया कर चुके हैं नेस्तनाबूद : अब हो रही कार्रवाई से पहाड़ों के बचने की उम्मीदें जगी

यहां के आधे दर्जन से अधिक पहाड़ों को पत्थर माफिया कर चुके हैं नेस्तनाबूद : अब हो रही कार्रवाई से पहाड़ों के बचने की उम्मीदें जगी

पलामू । क्रशर और पत्थर माईंस के बड़े हब के रूप में चिन्हित छतरपुर इलाके के कई पहाड़ों में अवैध खनन करके पत्थर माफिया उन्हें नेस्तनाबूद कर चुके हैं । अवैध खनन के लिए पहले पहाड़ों पर के पेड़ों को काटा जाता है और इस तरह से जंगल और पहाड़ दोनों नेस्तनाबूद किये जाते हैं । लेकिन बीते मंगलवार को छतरपुर अंचलाधिकारी उपेंद्र कुमार एवं छतरपुर के पूर्वी वन क्षेत्र पदाधिकारी नवनीत कुमार द्वारा छतरपुर अंतर्गत विभिन्न मौजों में संचालित विभिन्न कुल 12 क्रशरों का जांच किया है । इस दौरान वन क्षेत्र से पत्थर प्राप्त किये जाने की सूचना पर बरडीहा के जय मां स्टोन चिप्स क्रशर और जय मां विंध्यवासिनी क्रशर से पत्थर का  सैंपल लिया गया है । वहीं बचकोमा पहाड़ी के निरीक्षण के दौरान पहाड़ पर अवैध खनन की जांच की गयी है । पहाड़ पर अवैध रूप से खनन होने के पर्याप्त साक्ष्य मिले जिसके बाद अवैध खनन से जुड़े लोगों को चिन्हित किये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी है ।

पहाड़ों के बचने की जगी उम्मीद...

सरकारी तंत्र की इस कार्रवाई से अवैध खनन और अवैध वन कटाई से त्राहिमाम् कर रहे लोगों के बीच यह उम्मीद जगी है कि शायद इस बार तबाह होते पहाड़ों को बचा लिया जाएगा...! इलाके के कई लोगों से जब प्रति प्रश्न किया गया कि ऐसी आधी अधूरी कार्रवाईयां तो कई बार हुईं हैं, लेकिन इस बार प्रशासन से इतनी उम्मीद क्यों, तो इसपर लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब तक उन्होंने छतरपुर एसडीएम (IAS) आशीष गंगवार, IFS ऑफिसर नवनीत कुमार और छतरपुर सीओ उपेन्द्र कुमार की साफ सुथरी छवि देखी है जो ईमानदार हैं । उनकी उम्मीद इसीलिए है ।

अधिकांश क्रशर संचालकों द्वारा तय मानक का पालन नहीं किया जा रहा है

जांच के दौरान दोनों पदाधिकारियों द्वारा सभी क्रशरों का सीटीओ, चहारदीवारी, डिस्पैच रजिस्टर आदि की जांच की गयी। इस दौरान पाया गया कि अधिकांश क्रशरों पर वाटर स्प्रिंकिलर्स की व्यवस्था नहीं है और क्रशरों के समीप तय मानकों के अनुसार चहारदीवारी भी नहीं पाया गया। इन सभी बिंदुओं पर प्रतिवेदन तैयार कर अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी।

इन क्रशर प्लांटों का किया गया जांच

छतरपुर के मौजा बरडीहा अंतर्गत संचालित जय मां स्टोन चिप्स,जय माता स्टोन क्रशर, महादेव स्टोन चिप्स, जय मां सतचंडी स्टोन क्रशर, जय मां विंध्यवासिनी स्टोन चिप्स, जय मां शेरावाली स्टोन चिप्स, एमएस अशोक कुमार सिंह, मौजा चराईं के एमएस स्टोन, एमएस वैष्णो माता स्टोन, जय मां लिलोरी स्टोन चिप्स क्रशर, मौजा मुरुमदाग के सहारा स्टोन चिप्स एवं एमएस रविन्द्र कुमार सिंह स्टोन क्रशर का जांच किया गया।

जंगल विभाग के भ्रष्ट अधिकारी और पुलिस अब तक करते आये हैं पहाड़ों का सौदा...?

बीते वर्ष, यह बात चर्चा में आयी थी कि छतरपुर पूर्वी वनक्षेत्र के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और पुलिस जवानों ने मिलकर छतरपुर इलाके के कुछ पहाड़ियों का सौदा ही पत्थर माफियाओं के साथ कर दिया था ? मतलब यह कि हर महीने इतने रूपये दीजिये और बेखौफ होकर जंगल की पहाड़ियों को नेस्तनाबूद कीजिये...? इस खबर के बाद कई मीडिया घरानों ने खबरें छापीं थीं । बताया था कि अवैध खनन करने वाले पत्थर माफियाओं ने छतरपुर प्रखंड के बचकोमा, मुरुमदाग, बरडीहा, चराईं, खोढ़ी, करमा, तेलाड़ी, मसिहानी, डाली, सिलदाग और ओकराहा गांव से सटे कई पहाड़ियों को जड़ से ही नेस्तनाबूद कर दिया है । लेकिन इस खबर के बाद भी वन विभाग की पहाड़ियों से अवैध खनन बदस्तूर जारी रहा । बीच बीच में दिखावे के लिए कुछ कार्रवाईयां की गबीच  थीं ।

... तब, वन पुलिस को पत्थर माफियाओं ने जमकर पीटा था

इस प्रसंग की एक मजेदार लेकिन शर्मनाक और चिंतनीय घटना का जिक्र करना यहां जरूरी है । बीते वर्ष 2024 के नवंबर माह में वन पुलिस और पत्थर माफियाओं के बीच विवाद हुआ था । (सूत्रों का कहना है कि लेन देन को लेकर यह विवाद हुआ था लेकिन हम इस खबर की पुष्टि नहीं करते ।) विवाद के बाद दो वन पुलिस को बंधक बनाकर पीटा गया था । पुलिस कर्मियों ने मुकदमा करवाया । इसके बाद आरोपी की ओर से भी कोर्ट में वन पुलिस पर मुकदमा दर्ज करवाया गया है ।

सिर्फ वन विभाग की पहाड़ियों में ही है काले पत्थरों का जखीरा

दरअसल, जिन पहाड़ियों से ग्रेनाइट जाति के काले पत्थरों का अवैध उत्खनन होता रहा है, वे काले पत्थर अमूमन वन विभाग की पहाड़ियों में ही पाये जाते हैं जिन्हें तोड़कर बनायी गयी गिट्टी (छर्री) बाजारों में सबसे अधिक कीमत पर बिकती है और इसकी बहुत डिमांड है ।

बेतरतीब तरीके से हो रहे खनन से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर

छतरपुर प्रखंड के बचकोमा, मुरुमदाग, बरडीहा, चराईं, खोढ़ी, करमा, तेलाड़ी, मसिहानी, डाली, सिलदाग और ओकराहा गांव से सटे कई पहाड़ियों में लगातार अवैध पत्थर खनन हो रहा है ।‌ हैवी ब्लास्टिंग के जरिए अवैध तरीके से पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है। इस अवैध धंधे में माफियाओं का एक सुसंगठित तंत्र काम करता है, जिसके तार दूसरे राज्यों तक फैले हुए हैं। ऐसे में बेतरतीब तरीके से किए जा रहे अवैध उत्खनन से पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। ब्लास्टिंग की वजह से आसपास के गांवों पर भी खतरा मंडरा रहा है। जिन पहाड़ों से अवैध उत्खनन हो रहा है, वहां पर जंगल और पेड़ों की जबरदस्त अवैध कटाई हुई है । ये पहाड़ियां आबादी से सटे हैं । पुलिस-प्रशासन और वन विभाग की मिलीभगत और खनन विभाग की‌‌ अकर्मण्यता ने स्थिति को और भी भयानक बना दिया है । पत्थर माफियाओं के हौसले काफी बुलंद‌ हैं और वे बिना किसी वैध लीज के ही पहाड़ों को जमींदोज कर रहे हैं ।