जानिये कि लेस्लीगंज में एक पानी टंकी क्यों साबित हो रहा है हाथी का दांत
लेस्लीगंज (पलामू) । लेस्लीगंज वासियों का प्यास बुझाने वाला पेयजलापूर्ति योजना महीनों से बंद है । अपने निर्माण काल से ही यह योजना किसी न किसी कारणवश चर्चा में रहा है । कभी टेक्निकल प्रॉब्लम तो कभी मैनपावर की कमी से यह प्रोजेक्ट जूझता रहा है।
सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना जिससे आमलोगों को शुद्ध और सर्वसुलभ पेयजल उपलब्ध हो सके, इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर लेस्लीगंज में पानी फिल्टर करने और फिर सप्लाई हेतु लेस्लीगंज, धनगांव तथा झगरपुर में पानी टंकी का निर्माण कराया गया था । इसके साथ ही लेस्लीगंज के आठ पंचायतो को इस योजना से जोड़ा गया और सभी गांव में पाईपलाईन बिछाया गया। यह कार्य पेयजल एवम स्वच्छता विभाग( PHD) से कराया गया है।
इस बाबत पूछे जाने पर पीएचईडी विभाग के जूनियर इंजीनियर सुमन कुमार ने बताया कि कर्मियों को पिछले 11 माह से वेतन नही मिला है जिस कारण सभी हड़ताल पर हैं । कई बार समाधान का प्रयास किया गया, किन्तु कुछ कारणवश समाधान नही हो सका। मंगलवार को पुनः बैठक कर समाधान निकाला जायेगा।
पेयजलापूर्ति सुचारू रूप से समय पर हो और कर्मचारियों को वेतन भी मिले, इसके लिए विभाग ने पंचायत प्रतिनिधियों और जलसहिया को मिलाकर एक कमिटी बनाई ह । साथ ही पेयजल से लाभान्वित सभी घरों से एक न्यूनतम राशि की वसूली करना है। उसी राशि से कर्मचारियों को वेतन मिलेगा।वर्तमान में कमिटी के अध्यक्ष कुराइन पतरा पंचायत के मुखिया पूनम देवी हैं। समस्या यह है कि जलसहिया ग्रामीणों से पैसे की वसूली नहीं कर रही है या कमिटी में जमा नहीं कर रही है जिस कारण समय पर कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं होने के कारण सभी कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
जलापूर्ति बंद होने से प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। राशि वसूली में लापरवाही के चलते परेशानी हो रही है । योजना से जुड़े कर्मचारियों को लंबे वक्त से वेतन भुगतान नहीं होने के कारण अब कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
अध्यक्ष पूनम देवी ने बताया कि राशि वसूली का काम पंचायत के जल सहिया के पास होने के कारण न तो वसूली का काम सही ढंग से हो पाता है और न ही सुलभ जलापूर्ति हो पाती है। कर्मचारियों की मानें तो बीते 11 महीने से वेतन भुगतान नहीं होने से परिवार के भरण पोषण में परेशानी हो रही है। हर बार केवल आश्वासन दिया जाता है तंग आकर हड़ताल में जाने का निर्णय लिया गया है।