जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक में पलामू डीसी ने दिये DGPS SURVEY का निर्देश : यह क्या होता है और  वस्तुस्थिति क्या है यह जानिये

जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक में पलामू डीसी ने दिये DGPS SURVEY का निर्देश : यह क्या होता है और  वस्तुस्थिति क्या है यह जानिये

पलामू । गुरूवार को जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक में पलामू डीसी शशिरंजन ने सभी खदानों का DGPS SURVEY करने का निर्देश दिया है । जिसपर जिला खनन पदाधिकारी सुनिल कुमार द्वारा बताया कि 27 पट्टों का DGPS SURVEY करा लिया गया है । हांलाकि यह सर्वे कब किया गया और सर्वे के बाद खदानों की वर्तमान स्थिति क्या है, यह जानकारी नहीं दी गयी है ।

क्या है DGPS सर्वे ?

डीजीपीएस यानी डिफ़रेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का एक उन्नत वर्शन है । यह सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाला एक महत्वपूर्ण उपकरण है । डीजीपीएस सर्वे में, एक जीपीएस रिसीवर को एक सटीक स्थान पर रखा जाता है । इसे बेस स्टेशन या संदर्भ स्टेशन कहते हैं । यह रिसीवर उपग्रहों से मिलने वाले संकेतों के आधार पर अपनी स्थिति का पता लगाता है और उसे उस ज्ञात स्थान से तुलना करता है । डीजीपीएस सर्वे की मदद से, भूमि सर्वेक्षण, मार्ग सर्वेक्षण, और खानों की सीमा तय की जाती है‌ ।डीजीपीएस सर्वे की मदद से, खदानों की वास्तविक स्थिति में होने वाले बदलावों की जानकारी ऑनलाइन मिलती है‌। इससे खदानों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की जा सकती है ।

सभी पत्थर खदानों की मापी करने के निर्देश

बैठक में उपायुक्त ने बारी-बारी से सभी थाना और अंचल में की गयी कार्रवाई की समीक्षा की । जिन थाना क्षेत्र में अवैध खनन से जुड़े मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है, उस थाना प्रभारी और अंचल अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई करने का निर्देश उपायुक्त द्वारा दिया गया है । उपायुक्त ने सभी पत्थर खदानों की नापी करने का निर्देश जिला खनन पदाधिकारी को दिया है ।जिला खनन पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि सभी पथर खदानों की नापी करके 67 लाख से अधिक राशि की वसूली की गई है।जिला खनन पदाधिकारी ने बताया कि एक माह मे 119 वाहनो को जप्त कर लगभग 86 लाख का फाइन वसूली के साथ साथ 100 से अधिक लोगो पर मुक़दमा दर्ज किया गया है।

उपायुक्त ने सभी टास्क फोर्स के सदस्यों को अवैध खनन परिवहन एवं भंडारण पर रोक लगाने के कड़े निर्देश दिये हैं । साथ ही जिले के सभी कार्यपालक अभियंता को पत्र लिखकर खनिजों के स्रोत की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है।

क्या है वस्तुस्थिति

वस्तुस्थिति यह है कि अगस्त 2023 में जिला खनन पदाधिकारी के निरीक्षण में पलामू जिले, खासकर छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र के दर्जनाधिक क्रसरों की मापी हुई थी । मापी के उपरांत खनन पट्टा क्षेत्र से जितना घनफुट पत्थर खनिज का उत्पादन पाया गया था, उसके विरूद्ध जिम्स पोर्टल पर दाखिल मासिक विवरणी का मिलान करने पर लाखों घनफुट‌ पत्थर खनिज का अंतर पाया गया था । जनवरी 2024 में DMO ने संबद्ध खनन पट्टा संचालकों को‌ पत्र लिखकर कहा कि उनके खनन पट्टा क्षेत्र में लाखों घनफुट पत्थर खनिज का अंतर पाया गया है इसलिए इस बावत वे अपना जवाब दाखिल करें । इसके लिए उन्हें जनवरी 2024 के मासांत की तारीखें दी गयीं थीं । DMO के निर्देश पर लगभग खनन पट्टा संचालकों ने खनन अंतर के मामले में जवाब नहीं दिया ।

लाखों घनफुट पत्थर खनिज का जो अंतर था, उसकी सरकारी रॉयल्टी भी लाखों/करोड़ों में थी ! पट्टा संचालकों ने खनन के बड़े अंतर के विरूद्ध रॉयल्टी जमा की अथवा नहीं अथवा इस‌ मामले में उनपर क्या कार्रवाई हुई, यह सार्वजनिक नहीं हो पाया । पूर्व डीएमओ ने इस मामले को दबाकर रखा । बल्कि, इस प्रकरण के बाद यह जरूर देखा गया कि जिन खनन पट्टा संचालकों ने बड़ी अनियमिततायें की थीं, उन्हें बचाने अथवा सुरक्षित करने के लिए कोई छोटा छोटा कारण बताकर या तो उनका लीज निलंबित कर दिया गया अथवा लीज का नाम बदल दिया गया ।

वस्तुस्थिति यह भी है कि पूर्व DMO को सभी खनन माईंस की बावत जानकारी थी कि कौन कौन लीज से अधिक क्षेत्र में खनन कर रहे हैं । उन्हें बचाने के लिए लीज से अधिक क्षेत्र को भरवाया गया है । लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है, सो सभी पूरा नहीं कर पाये । अब भी लीज क्षेत्र से अधिक एरिया में खनन हो रहे हैं । अवैध परिवहन भी दिनदहाड़े जारी है । अगर पुनः एक एक खदानों की मापी हुई और DGPS सर्वे हुआ तो शायद ही कोई सलामत बच पाये !