अधिकारियों ने जब छतरपुर में देखे पहाड़ियों की हालत तो सन्न रह गये : हर एक पहाड़ी चीख चीख कर बयां कर रही थी पत्थर माफियाओं की काली करतूतें

-- अरूण कुमार सिंह
पलामू । मीडिया जब यह लिखती थी कि पत्थर माफियाओं द्वारा लगातार अवैध उत्खनन के कारण कई पहाड़ियां जमींदोज हो रही हैं और उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, तो पत्थर माफियाओं से मिले हुए अधिकारी अक्सर इस बात को झूठा करार दे दिया करते थे और स्थिति को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने का तोहमत मीडिया कर्मियों पर लग जाया करता था । लेकिन बीते कुछ दिनों से छतरपुर पूर्वी वनक्षेत्र के रेंजर (आईएफएस) नवनीत कुमार और छतरपुर सीओ उपेन्द्र कुमार ने जब छतरपुर इलाके के मुरूमदाग, हुटुकदाग, करमा चेराईं, बसडीहा, बरडीहा, मुरूमदाग, बजकोमा आदि इलाके का दौरा करके वनभूमि और गैर मजरूआ भूमि पर हुए अवैध उत्खनन का जमीनी हकीकत जानना चाहा तो वे सन्न रह गये । इस इलाके की करीब करीब हर पहाड़ियां और वनक्षेत्र लगभग चीख चीख कर पत्थर माफियाओं की काली करतूतों को बयां कर रहीं थीं । पत्थर माफियाओं ने अवैध खनन करके इस इलाके की अधिकतर पहाड़ियों को नेस्तनाबूद कर दिया है । आईये, हम आपको अधिकारियों के ही कैमरे की नजर से दिखाते हैं उस इलाके के पहाड़ियों का हाल -
पत्थर माफियाओं द्वारा वनकर्मियों पर हमले के बाद इलाके में कमर कसकर उतरा है वन विभाग और प्रशासन
बीते 22 मार्च की रात बसडीहा इलाके में अवैध पत्थर जब्त करने गये वन विभाग की टीम पर हमला करके पत्थर माफियाओं ने वन विभाग के 5 वनरक्षी को घायल कर दिया था । इस घटना में पांच ज्ञात और कई अज्ञात लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है । इस घटना के बाद इस इलाके में वन विभाग और प्रशासन पत्थर माफियाओं के विरूद्ध कमर कसकर उतरा है । इसी क्रम में छतरपुर सीओ और प्रभारी रेंजर ने उक्त इलाके के उन पहाड़ियों को देखा जहां पर उन्हें अवैध खनन के दर्जनों सबूत मिले । अवैध खनन करने वाले पत्थर माफियाओं ने छतरपुर प्रखंड के बचकोमा, मुरुमदाग, बरडीहा, चराईं, खोढ़ी, करमा, तेलाड़ी, मसिहानी, डाली, सिलदाग और ओकराहा गांव से सटे कई पहाड़ियों को जड़ से ही नेस्तनाबूद कर दिया है या करने की कोशिश की है । वनक्षेत्र और गैरमजरूआ भूमि से अवैध पत्थर तोड़ने में विस्फोटक का भी इस्तेमाल किया गया है और पत्थर तोड़ने के क्रम में पेड़ों की भी अवैध कटाई हुई है ।
ड्रोन से हो रहा है इन पहाड़ियों का सर्वेक्षण, अवैध पत्थर लदा एक ट्रैक्टर भी सीज किया गया
प्रशासन और जंगल विभाग इन इलाकों का ड्रोन से सर्वे करवा रहा है जिससे यह पता लगेगा कि किस जगह से, कितनी मात्रा में अवैध खनन हुआ है । सीओ उपेन्द्र कुमार ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि शीघ्र ही पूरी जमीनी हकीकत साफ हो जाएगी । उन्होंने बताया कि मौके से अवैध पत्थर लदा हुआ एक ट्रैक्टर भी सीज किया गया है ।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी रही है संदेहास्पद
अवैध खनन को प्रश्रय देने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी हमेशा संदेहास्पद रही है । पूर्व विधायक पुष्पा देवी के विधायक काल में उन्हीं की मांग पर विधानसभा कमिटी का गठन हुआ था जिन्होंने स्थल पर आकर अवैध खनन को देखकर कहा था कि यहां बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है । लेकिन बाद में कोई कार्रवाई नहीं हुई । इसी तरह पंचायत जनप्रतिनिधियों ने भी अपने पंचायत क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन के बारे में न तो कभी आपत्ति दर्ज करायी और न ही कार्रवाई करने/करवाने की कोशिश की । लेकिन वित्त मंत्री बनते ही क्षेत्रीय विधायक राधाकृष्ण किशोर ने एक समीक्षा बैठक में अधिकारियों को अवैध खनन रोकने के स्पष्ट निर्देश दिये थे ।
डीसी ने भी दिये हैं कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश
बीते शुक्रवार को जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक में पलामू डीसी शशिरंजन ने भी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि - "अटैच माइंस से पत्थर उठाव नहीं करने तथा अवैध उत्खनन कर पत्थरों को लाने वाले क्रसर संचालकों पर कार्रवाई करना सुनिश्चितत करें। उनके खिलाफ संबंधित थानों में प्राथमिकी दर्ज कराएं साथ ही अर्थदण्ड लगाते हुए वसूली की कार्रवाई करें।" प्रशासन और वन विभाग की प्रारंभिक कार्रवाई से ही पत्थर माफियाओं के बीच हड़कंप मच गया है । अगर यह कार्रवाई इस बार मुकाम तक पहुंची तो न सिर्फ उजड़ते हुए जंगलों और तबाह होते पहाड़ियों पर रहने वाले जीव जंतुओं की दुआ इन्हें मिलेगी, बल्कि इस इलाके में रहनेवाले उन सभी प्राणी भी राहत की सांस लेंगे, जिनके लिए जंगल और पहाड़ ही उनके भगवान और पालनहार हैं ।