हुसैनाबाद : शासी निकाय की बैठक में शिक्षकों की सेवा समाप्त करना असंवैधानिक

हुसैनाबाद : शासी निकाय की बैठक में शिक्षकों की सेवा समाप्त करना असंवैधानिक


-- समाचार डेस्क
-- 8 सितंबर 2021

हुसैनाबाद (पलामू) । स्थानीय ए के सिंह कॉलेज जपला की शासी निकाय की बैठक शिक्षक दिवस के दिन रविवार को रांची में आयोजित की गई थी। बैठक के बाद कॉलेज के शिक्षक सौरभ सिंह द्वारा एक प्रेस बयान जारी किया गया है जिसमें निम्नलिखित बातें कही गयीं हैं :-

जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक बैठक की अध्यक्षता विधायक कमलेश कुमार सिंह ने की । बैठक में 2016 में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दिया गया। इस निर्णय की जानकारी मिलने पर भुक्तभोगी शिक्षकों में काफी आक्रोश है। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक दिवस पर पूरा देश शिक्षकों को सम्मानित कर रहा था तो दूसरी और उसी दिन बैठक कर शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लेना एक सोची-समझी घटिया मानसिकता है।

इस संबंध में शिक्षक सौरभ सिंह ने बताया कि वर्ष 2016 में हम लोगों की नियुक्ति विज्ञापन साक्षात्कार के उपरांत हुई थी साक्षात्कार में विश्वविद्यालय स्तर के रीडर व शंकायध्यक्ष के अलावे वर्तमान कुल सचिव श्री राकेश कुमार भी शामिल हुए थे। और नियुक्ति के उपरांत मानदेय भी मिल रहा था लेकिन वर्ष 2018 में तदर्थ समिति ने विवादित बताकर मानदेय रोक दिया और हमलोगों से कार्य कराते रहें। 38 माह तक मानदेय नहीं मिलने पर हमलोगों ने मानदेय भुगतान के लिए झारखंड हाई कोर्ट गये जहां से विश्वविद्यालय को निर्देश दिया  गया कि 8 सप्ताह में निर्णय लेकर कोर्ट को अवगत करायें। विश्वविद्यालय ने कोर्ट के निर्णय से संबंधित एक पत्र कॉलेज के शासी निकाय को दिया।

कॉलेज के शासी निकाय ने नियुक्ति का विरोध करने वाले कॉलेज शिक्षकों का ही एक जांच कमिटी बना दिया इसमें एक भी प्रशासनिक पदाधिकारी नहीं थे और न ही विश्वविद्यालय स्तर का कोई पदाधिकारी था। ऐसे में जांच कमिटी ही सवालों के घेरे में है। हमलोग इस निर्णय को न्यायालय में चुनौती देंगे। शिक्षक रविंद्र सिंह, सत्येंद्र प्रसाद, मुकेश कुमार शिक्षकेतर कर्मी संजीत सिंह, प्रमोद सिंह,ने बताया कि विधायक कमलेश सिंह शिक्षक एवं कर्मियों में फूट डालो राज करो की नीति अपनाकर बाहरी और स्थानीय बताकर आश्वासन देते रहे कि स्थानीय को कुछ नहीं होगा लेकिन इस निर्णय ने साबित कर दिया कि विधायक जी के कथनी और करनी अलग-अलग है ।

प्रेस बयान के मुताबिक पूर्व सचिव श्री ललन कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार शासी निकाय गठन के के बाद विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद ही शासी निकाय अधिकृत माना जाता है। विश्वविद्यालय द्वारा आज तक अधिसूचना जारी नहीं किया गया इसलिए शासी निकाय द्वारा जो भी निर्णय लिया जा रहा है सभी अवैध एवं असंवैधानिक है इसमें विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली एवं चुप्पी संदेहास्पद है।

जारी प्रेस बयान के मुताबिक पूर्व प्राचार्य श्री अशोक कुमार सिंह ने कहा कि हमने विश्वविद्यालय द्वारा शासी निकाय गठन की अधिसूचना जारी होने तक कार्य नहीं करने का सुझाव दिया साथ ही शिक्षकों द्वारा दों जगहों से लिए गए सरकारी अनुदान एवं मानदेय वापस कराने की बात कही। 2016 में नियुक्त शिक्षक एवं कर्मियों की नियुक्ति को नियम संगत बताया। इन्हीं सब कारणों से हमें प्राचार्य पद से हटाया गया जिसके खिलाफ हम कोर्ट गये हैं।