पलामू : GPAC डिग्री कॉलेज सड़मा में 'कोरोना का त्रासदी और समाज का पुनः निर्माण विषय पर वेबिनार आयोजित

Palamu: A webinar on 'Corona Tragedy and Rebuilding Society' was organized at GPAC Degree College, Sadma

पलामू : GPAC डिग्री कॉलेज सड़मा में 'कोरोना का त्रासदी और समाज का पुनः निर्माण विषय पर वेबिनार आयोजित

-- प्रमुख संवाददाता
-- 13 जून 2021

छतरपुर (पलामू) । छतरपुर के सड़मा स्थित गुलाबचंद प्रसाद अग्रवाल डिग्री कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार का शुभारंभ मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता डॉ रंजना सिन्हा, मुख्य संरक्षक ई० सत्यदेव प्रसाद अग्रवाल एवं प्रभारी प्राचार्य जितेन्द्र कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ववलित कर किया।

विषय प्रवेश कराते हुए एनपीयू स्नातकोत्तर विभाग समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक खान-पान के साथ-साथ सामाजिक संबंध पर भी ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं का मानना है कि सामाजिक संबंध आपको अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु भी प्रदान करता है।

मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता बीआरए विश्विद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ रंजना सिन्हा ने कहा कि समाज किसी त्रासदी के लिए तैयार नहीं रहता । यह अचानक आती है और जाती है। जाते-जाते विभिन्न तरह की विभीषिकायें छोड़ जाती हैं। परंतु मानवजाति अपनी संवेदना, करुणा, शिक्षा, बुद्धि और नवाचारों से समाज का पुनर्निर्माण करता है। आज संपूर्ण विश्व इस महामारी से लड़ने के लिए एकजुट है। जिसे भारत ने वैक्सीन बनाकर अन्य देशों को देकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। कोविड-19 से अधिक दुष्प्रभाव मार्जिन लाइट कम्युनिटी जैसे महिलाओं, बुजुर्गों, दैनिक मजदूरों एवं तृतीय लिंग पर पड़ा है।

श्रीमति सिन्हा ने कहा कि भारतीय समाज में समाज का ताना-बाना बहुत सुदृढ़ है। यह हमारी अस्थाई फेज है और हम इससे शीघ्र ही ऊबर जाएंगे। आज प्रबुद्धजन से अपेक्षा है कि वह जन जागरूकता में सहभागी बने और दोषारोपण छोड़ स्वयं सिद्ध हो। प्रशासन एवं राष्ट्रीय फैसलों पर अमल करें।

विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर सुचित्रा शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा कि परिवार समाज की मूल इकाई है और आज इस विषम परिस्थिति में सबसे ज्यादा प्रभाव परिवार और परिवार के सदस्यों पर पड़ा है । जिस परिवार का आधार सुरजन सुखाय होता था, वसुधैव कुटुंबकम हुआ करता था, वह आज सीमित केंद्रित और आत्म केंद्रित हो गया है।

अतिथि डॉ राजीव कुमार राय ने कहा कि कोविड-19 के उपरांत सामाजिक दूरी का वैश्विक अर्थ सामाजिक कम निश्चित भौतिक दूरी की तथा प्रत्येक अंतः क्रिया के सीमित उपयोग के साथ सामाजिक संबंधो के रूप में लिया जा रहा है ।

इस वेबिनार में स्वागत भाषण प्राचार्य जितेंद्र कुमार तथा संचालन व्यवस्था रानी कुमारी एवं राजमोहन ने संयुक्त रूप से किया। जबकि धन्यवाद ज्ञानप संस्थापक सचिव ने किया। इस वेबिनार के लिए 276 से अधिक छात्र, शोधार्थी, प्राध्यापक, सह प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक एवं प्रबुद्ध गण प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया था । जबकि गूगल मीट एवं यूट्यूब पर 300 से अधिक लोगों भाग लिया । कॉलेज के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों के अलावे इस वेबिनार में डॉ शिवानी राय, डॉ किरण कुमारी, डॉ दिनेश चंद्रा, डॉ रणवीर कुमार, डॉ चंदन सिंह, माया मिश्रा (शोधार्थी, रांची), प्रवीण सिंह कुशवाहा (शोधार्थी, इंदौर)  सुजाता सुधा शोधार्थी (लंदन) रिशु कुमारी, राधिका कुमारी  आदि ने भी भाग लिया ।