पलामू के छतरपुर में क्रसर माफियाओं ने जब कानून को दिखाया ठेंगा तो आपने क्या किया साहेब

पलामू के छतरपुर में क्रसर माफियाओं ने जब कानून को दिखाया ठेंगा तो आपने क्या किया साहेब


-- प्रमुख संवाददाता
-- 5 मार्च  2022

पलामू जिले का छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र पत्थर माईंस और क्रसरों का हब माना जाता है । लेकिन यही वह इलाका भी है जहां विभागीय मिली भगत से प्रतिदिन लाखों रूपयों के सरकारी राजस्व की खुलेआम चोरी भी होती है और सरकारी महकमा लगभग मूक दर्शक बना रहता है । इस बार तो कुछ ऐसी घटनायें घटीं कि क्रसर माफियाओं ने कानून को ही ठेंगा दिखा दिया । सवाल लाजिमी है कि परिप्रेक्ष्य में अब तक 'साहबों' ने क्या किया ? 

दरअसल, छतरपुर प्रखंड क्षेत्र के मुरमदाग और बजकोमा में खनन विभाग द्वारा अवैध रूप से संचालित नौ क्रसर प्लांट बीते गुरूवार को सील किये गये थे । गुरूवार को जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स ने गुरूवार को मुरुमदाग और बचकोमा गांव में संचालित मुनीर आलम, विनय सिंह, निजामुद्दीन अंसारी, सरफुद्दीन अंसारी, राजेंद्र साव एवं बजकोमा गांव में अयूब आलम तथा कर्माचराई गांव में जितेंद्र कुमार गुप्ता, बरडीहा में बसंत साव के क्रशर प्लांट को सील कर दिया था । बताया गया था कि इन क्रसरों को चलाने के लिए संचालकों के पास जरूरी कागजात नहीं हैं । इस कार्रवाई टीम में जिला खनन पदाधिकारी आनंद कुमार, छतरपुर थाना प्रभारी शेखर कुमार, एसएसआई अरबिंद कुमार पुलिस बल शामिल थे । सील किये गये क्रसर प्लांटों में दूसरे दिन, यानी शुक्रवार को पुनः काम चालू हो गया । यह खबर मीडिया में भी आयी । जिला खनन पदाधिकारी की ओर से मीडिया कर्मियों को बताया गया कि अगर ऐसा हुआ है तो संबद्ध संचालकों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाएगी और अवैध क्रसरों को नीलाम किया जाएगा ।

दरअसल, मुरूमदाग और बजकोमा में पिछले कई सालों से कई क्रसर अवैध रूप से चलाये जा रहे हैं । इसके पहले भी तीन से अधिक बार सरकारी कार्रवाई हो चुकी है । अवैध क्रसरों को ध्वस्त भी किया गया है और एफआईआर भी । कई महीने पहले ही छतरपुर एसडीओ ने इन अवैध क्रसरों का जिक्र करते हुए संबद्ध अधिकारियों को पत्र लिखा था । उसके बाद भी कार्रवाई में काफी विलंब हुआ । यह बात किसी के समझ में नहीं आयी कि अगर उक्त क्रसर अवैध थे और उन्हें सील किया गया था तो फिर संबद्ध संचालकों पर प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करायी गयी ? बताया जा रहा है कि उक्त क्रसरों के लिए अधिकतर पत्थर वनक्षेत्र से ही आते हैं । तो, वन विभाग अपने पहाड़ और जंगल आराम से क्यों उजड़वा रहा है ? छतरपुर थाना प्रभारी शेखर कुमार ने बताया कि उक्त अवैध क्रसरों के संचालकों के विरूद्ध अभी तक विभाग ने एफआईआर दर्ज नहीं कराया है ।

यह बताना प्रासंगिक होगा कि बीते वर्ष छतरपुर एसडीओ ने वन विभाग को एक पत्र लिखा था, जिसमें कम से कम 16 क्रसरों के नाम थे । इनमें अधिकतर क्रसर करमा-चेराईं रोड में संचालित हैं । इनके बारे में एसडीओ ने वन विभाग को अविलंब कार्रवाई करने को कहा था । यह कार्रवाई आज तक नहीं हुई ।

जल-जंगल-जमीन को बचाने की बात पर सत्ता में आयी हेमंत सरकार के जमाने में पत्थर और क्रसर माफिया बेलगाम हैं और धरती से लेकर आसमान तक त्राहिमाम् कर रहा है । जनता भोग रही है । ऐसी स्थिति में कौन कहां और क्यूं फरियाद करे ?