एक महीने में छह कांड : सात जनम तक साथ निभाने की कसम खानेवाले ही अब कर रहे हैं रिश्तों का कत्ल
एक माह में आधा दर्जन कांड : अब पति या पत्नी ही कर-करवा रहे हैं एक दूसरे की हत्या
-- अरूण कुमार सिंह
कांड नंबर 1 - नौडीहा बाजार थानाक्षेत्र निवासी अनुज कुमार यादव ग्रामीण चिकित्सक था । शादीशुदा होने के बावजूद वह सोनी नामक नर्स को दिल दे बैठा । दोनों ने साथ जीने मरने की कसम खायी । बीते 1 जुलाई को अनुज की लाश छतरपुर से सटे बारा गांव के उसी किराये के घर में मिली, जिसमें दोनों साथ साथ रहा करते थे । बाद में सोनी ने उसकी हत्या करने की बात पुलिस के समक्ष स्वीकार किया और अब वह जेल में है ।
कांड नंबर दो - बीते 9 जुलाई को पुलिस ने एक गोलीकांड का उद्भेदन किया । पांकी थानाक्षेत्र के पथरा निवासी आशीष कुमार पर उसकी नवेली दुल्हन मंशु कुमारी ने ही अपने प्रेमी के साथ मिलकर गोली चलवायी थी । मंशु प्रेमी के साथ रहने के लिए उसी पति को मरवाना चाहती थी जिसके साथ दो माह पूर्व उसने सात फेरे लिए थे ।
कांड नंबर 3 - बीते 23 जुलाई को पुलिस ने एक हत्यारन पत्नी को गिरफ्तार किया । यह मनातू थानाक्षेत्र का मामला था जिसमें पानो देवी नामक पत्नी ने अपने पति सोमर भूईयां का कत्ल टांगी से काटकर कर दिया था । पत्नी ने पुलिस को बताया था कि उसका पति अपनी बहू पर ही बुरी नजर रखता था ।
कांड नंबर 4 - यह 24 जुलाई की रात की घटना है । पिपरा थानाक्षेत्र के धवतर गांव के उपेन्द्र राम ने अवैध संबंध के शक में अपनी पत्नी सविता देवी की धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी । इसके बाद वह खुद भी जहर खाकर मर गया । 25 जुलाई को दोनों का शव मिला ।
कांड नंबर 5 - यह 28 जुलाई की घटना है । पलामू के रामगढ़ थानाक्षेत्र के उरमान गांव का देवनाथ कोरबा अपनी बेटी और पत्नी को लेकर ससुराल जा रहा था । रास्ते में, उसने अपनी बेटी के सामने ही अपनी पत्नी की हत्या कर दी और फरार हो गया ।
कांड नंबर 6 - 28 जुलाई को ही पुलिस ने एक और हत्याकांड का उद्भेदन किया । इस हत्याकांड का सारांश यह था कि चार बच्चों की मां को एक युवक से प्रेम हुआ तो पति राह का रोड़ा लगने लगा । पति को इस अवैध संबंध की भनक लगी तो पत्नी ने उसे प्रेमी से मरवा दिया । यह घटना पांकी का है । पति का नाम अजय चंद्रवंशी और पत्नी का नाम अमृता है । अमृता और उसका प्रेमी पटना के रंजीत को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है ।
भले ही ये पलामू जिले की घटनायें हों, लेकिन वर्तमान समय की यह तस्वीर बड़ी भयावह है । इस अप-संस्कृति कहें या अमानवीयता या संवेदनहीनता या स्वार्थ की बदतर चरम स्थिति ! इन घटनाओं को क्या नाम दें जिनमें कि जनम-जनम तक एक दूसरे का साथ निभाने का वादा करने वाले ही रिश्तों का कत्ल कर रहे हों !
बड़ी भयावह है तस्वीर, भरोसा किस पर करें लोग
शहर से लेकर गांव की गलियों तक नापने वाले समाजसेवी अम्बिका सिंह कहते हैं - "इसी स्थिति को घोर कलियुग कहा जाएगा । ऐसी अधिकतर घटनायें नैतिकता का पतन होने, मोबाइल और इंटरनेट का मिसयूज्ड होने और दैहिक जरूरत पूरी न होने के कारण हो रहीं हैं । यह संयुक्त परिवार के बिखरने और समाजिकता का क्षरण होने का भी नतीजा है । जब जीवन साथी ही कातिल बन जाए तो भरोसा किस पर किया जा सकता है ?"
बाजारवाद+भौतिकवाद+देहवाद = रिश्तों का खून ! नैतिक शिक्षा ही है उपाय : जेम्स हेरेंज
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज कहते हैं - "हमलोगों के जमाने में पढ़ाई के दौरान नैतिक शिक्षा एक विषय हुआ करता था । लिटरेचर की किताबों में सभी कहानियां नैतिक शिक्षा से जुड़ी होती थीं । धर्मग्रन्थों की नैतिक कहानियां पढ़कर और सुनकर बड़े हुए बच्चों में नैतिकता हुआ करता था । संयुक्त परिवार और समाज का अंकुश था लोगों पर । लेकिन धीरे धीरे पूंजीवाद और बाजारवाद इस कदर हावी हो चुका है कि लोग सही और गलत के अंतर को भूलने लगे हैं । मोबाइल और इंटरनेट पर लगाम नहीं है । फिर से नैतिकता और धार्मिकता की नींव डालना ही एकमात्र उपाय है जिससे समाज को पतित होने से बचाया जा सकता है ।"