पलामू : पहलाम के जुलूस में यहां के लोग अपने ही खून से नहा जाते हैं

पलामू : पहलाम के जुलूस में यहां के लोग अपने ही खून से नहा जाते हैं


-- अरूण कुमार सिंह

हर साल मुहर्रम शहीद-ए-कर्बला की याद ताजा कर देता है । लोग नारे लगाते हैं- इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद । मातमी माहौल में हसन-हुसैन याद किये जाते हैं । यह इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है । करबला की जंग में आखिरी नबीस के नवासे इमाम हसन व हुसैन‌ अलैहिस्सलाम हक के लिए खुदा की राह में कुर्बान हो गए थे। I मुहर्रम की 10 वीं की यह जुलूस पूरे पलामू में या हसन या हुसैन और या अली की नारों के साथ निकला । हर जुलूस संबद्ध करे बाल में जाकर संपन्न हुआ । लेकिन पलामू में जपला और हैदरनगर में दसवीं मुहर्रम का जुलूस खास है जिसे देखने के लिए अन्य समुदाय के लोगों सहित अब भी हजारों लोग जुटते हैं । यह‌ ऐसा मातमी जुलूस होता है जिसमें दर्जनों युवा खून से लथपथ हो जाते हैं ।

खून से लगभग नहा जाते हैं शिया समुदाय के लोग

जपला और हैदरनगर में दसवीं मुहर्रम के मातमी जुलूस में शिया समुदाय के लोग अपने ही खून से लगभग नहा से जाते हैं । आज बभंडी व भाई बिगहा स्थित इमाम बारगाह में शिया समुदाय का मुख्य आयोजन हुआ। बभंडी इमाम बारगाह से जुलूस-ए-अजा निकलकर चौक बाजार होते हुए भाई बिगहा इमामबरगाह पहुंचा। यहां मजलिस के बाद जुलूस निकाला गया। जुलूस में शिया समुदाय के युवा व बच्चों ने जंजीरी व ब्लेड मातम कर खुद को लहू लुहान कर लिया। कर्बला के शहीदों की याद में मुहर्रम पूरी अकीदत के साथ मनाया गया। जुलूस में शिया समुदाय के लोगों ने अपनी छाती पीट कर तमा, जंजीर ब्लेड से शरीर को चीरकर मातम मनाते हुए शरीर को खून से रंग दिया। इस खूनी मातमी को देखने के लिए दूसरे समुदाय के लोग भी काफी संख्या में पहुंचे थे । समुदाय के युवा बच्चों ने जंजीर, ब्लेड से मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया। कई ने अपने सिर पर चाकू से प्रहार कर मातम किया। देखने वाले लोगों के रोगटे खड़े हो गए। लोगों ने इस दौरान मर्सिया पढ़ा और शहीद कर्बला की याद में आंसू बहाए हाय हुसैन के नारे भी लगाए। कर्बला में पहलाम के बाद फातेहा भी पढ़ा गया।

जुलूस भाई बिगहा कर्बला में संपन्न हो गया। जुलूस में शांति व्यवस्था कायम रखने को लेकर हैदरनगर थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ मौजूद थे । जुलूस का नेतृत्व मुतवल्ली सैयद शमीम हैदर रिजवी ने किया। जूलूस में साबिर हुसैन, ताहिर हुसैन, हुसैन हैदर, अख्तर हुसैन, मुन्ना हुसैन, मोहम्मद हुसैन, हैदर हुसैन के अलावा बड़ी संख्या में समुदाय के लोग शामिल थे।

यहां भी शिया समुदाय ने पहलान के जुलूस में जंजीरी मातम कर खुद को किया लहू लुहान

हुसैनाबाद वक्फ वसला बेगम सदर इमाम बारगाह में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सदर इमामबारगा से जुलूस-ए-अजा निकलकर गांधी चौक होते हुए कर्बला में संपन्न हुआ । इस बीच शिया समुदाय के युवा, बुजुर्ग और बच्चों ने जंजीरी, ब्लेड का मातम कर खुद को लहू लुहान कर दिया। इस दृश्य को देखने बड़ी संख्या में लोग दूर दूर से पहुंचे थे । गांधी चौक पर मौलाना सैयद सुल्तान हुसैन साहब आजमगढ़ ने तकरीर करते हुए कहा कि मुहर्रम कोई त्योहार नहीं है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हैं और मुहर्रम करबला के शहीदों की याद में मनाया जाता है। जुलूस का नेतृत्व मुतवल्ली सैयद हसनैन ज़ैदी कर रहे थे। जूलूस में तनवीर हुसैन, मिर्ज़ा आमीन, सैयद मोहमद राजा, सैयद राजा इमाम, नैयर रजा, बाकर हुसैन मर्सिया पढ़ रहे थे और मातम कर रहे थे। नौहाखानी सैयद मिसम रिज़वी, मिर्ज़ा समीर, सैयद हाशिम अली, सैयद नकी ईमाम, सैयद हसन, मिर्ज़ा इस्लाम ने किया ।