जिस गांव में आजादी के बाद कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं गये थे: वहां पहुंचे पलामू डीसी

जिस गांव में आजादी के बाद कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं गये थे: वहां पहुंचे पलामू डीसी

-- पाल्हे से लौटकर अरूण कुमार सिंह

जनहित के संवेदनशील कार्यों के बूते अक्सर चर्चा में रहनेवाले पलामू डीसी ने गुरूवार को एक इतिहास ही रच दिया । वे पलामू जिले के नौडीहा प्रखंड क्षेत्र के घोर नक्सल प्रभावित जनजाति बहुल पाल्हे गांव में बिना किसी पूर्व योजना के पलामू डीसी आंजनेयुलू दोड्डे पहुंचे । इस गांव में आजादी के बाद कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचे थे । बीडीओ-सीओ जैसे अधिकारी भी नहीं ।

आज भी नक्सल प्रभावित है यह चर्चित गांव

जमीन से 1500 फीट से अधिक की उंचाई पर बसे यह जनजाति बहुल गांव और इसके सटे तुरकुन गांव नक्सली गतिविधि के कारण चर्चा में तब आया था जबकि गांव का एक बड़ा नक्सली पकड़ा गया था और एक अन्य मुठभेड़ में चर्चित नक्सली राकेश भूईयां के दस्ते के साथ पाले-तुरकुन की दो लड़कियां मारी गयीं थीं । आज भी गाहे बगाहे इस इलाके में टीएसपीसी नक्सली आते रहते हैं । पाल्हे करीब 35 घर जनजाति परिवारों की बस्ती है ।

सरईडीह के बाद से ही है कच्ची सड़क

डीसी के साथ आये गाड़ियों का काफिला सरईडीह से करीब 7 किलोमीटर दूर जंगली-पथरीली पगडंडियों और कच्ची सड़क से होते हुए डकिनियां पहाड़ी तक पहुंचा । बीच के गावों- सरईडीह से शाहपुर, मंगराडीह, गम्हरिया, नोखिला‌, मतनाग आदि तक कहीं भी पक्की या अच्छी सड़क नहीं थी । संकेत स्पष्ट था कि जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकार और प्रशासन तक ने इस पूरे इलाके की अबतक उपेक्षा ही की है ।

1800 फीट उंची पहाड़ी पर बसा है गांव

डकिनियां पहाड़ से पाले जाने के लिए करीब 1800 फीट की खड़ी ऊंचाई चढ़नी पड़ती है । लगभग 4 किलोमीटर । पलामू डीसी और उनके काफिले में शामिल अधिकारी पैदल चलकर कठिन चढ़ाई चढ़ते हुए पाल्हे गांव पहुंचे । बीच बीच में डीसी ने मौके पर मौजूद चिकित्सा टीम के चिकित्सक और एएनएम, खाद्य आपूर्ति विभाग, बीडीओ-सीओ आदि से उक्त गांव की बावत और वहां की समस्याओं के निदान की बावत बात कर रहे थे । बातचीत में ही यह सामने आया कि प्रशासनिक महकमा के कोई अधिकारी अब तक पाले गांव नहीं पहुंचे हैं । पाल्हे से सटे तुरकुन और गोरहो गांव की स्थिति भी कमोवेश यही है । घर घर अनाज पहुंचाने वाली डाकिया योजना यहां काम नहीं करती । एक विद्यालय था जिसकी बिल्डिंग तो है लेकिन इसे दूसरे विद्यालय से मर्ज कर दिया गया है । अब इस गांव के बच्चे पांच किलोमीटर दूर पढ़ने जाते हैं । ग्रामीणों ने कहा कि तब विद्यालय में मौजूद शिक्षकों ने यहां न आने के लिए ऐसा करवाया था ‌।

बच्चों को टाफियां बांटी, सबके साथ खिचड़ी खायी

पाले गांव पहुंचने पर डीसी स्थानीय लोगों के बीच गये । अपना परिचय देकर गांव वालों का हाल चाल पूछा । फिर बच्चों के बीच खिलौने और टाफियां बांटी । चलते वक्त स्कूल परिसर‌‌ में लोगों के साथ बैठकर खिचड़ी भी खायी ।

बनेगी सड़क, चालू होगा स्कूल

ग्रामीणों ने डीसी से गांव में बंद पड़े स्कूल को फिर से खोलवाने की मांग की । तालाब निर्माण हेतु भी अनुरोध किया।‌ ग्रामीणों से संवाद के पश्चात उपायुक्त ने गीता कुमारी, रंजू देवी व कइल बैगा का ऑन स्पॉट पेंशन स्वीकृत किया । साथ ही लोगों के बीच बढ़ती ठंड के मद्देनजर कंबल का भी वितरण किया । डीसी ने उस कुआं का भी निरीक्षण किया जहां से टंकी बनाकर पूरे गांव को नल जल योजना के तहत पेयजल उपलब्ध कराया जा सकता है ।
डीसी ने कहा कि ग्रामीणों के मांग के अनुरूप शीघ्र ही तालाब निर्माण की स्वीकृति दी जायेगी । शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित कर स्कूल का संचालन पुनः शुरू करवाया जाएगा । उन्होंने कहा कि यहां पहुंचने का रास्ता कठिन है । रास्ते को सुगम बनाने हेतु वन विभाग से समन्वय स्थापित कर सड़क निर्माण की दिशा में जल्द ही कार्य प्रारंभ किया जाएगा । यहां के  बच्चे कुपोषण के शिकार न हों इसके लिए नया आंगनवाड़ी केंद्र का भी संचालन किया जाएगा। रोजगार हेतु तीन युवाओं का चयन किया जिन्हें मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा । साथ ही यहां के स्थानीय ग्रामीणों के कोविड वैक्सीनेशन हेतु मोटरसाइकिल एंबुलेंस की व्यवस्था भी करवाई जाएगी। सड़क नहीं रहने के कारण इस इलाके के कई गांवों में एएनएम नहीं पहुंच पायी थी जिसके कारण इस क्षेत्र में वैक्सीनेशन का कार्य नहीं हो पाया था।

मौके पर यह भी थे मौजूद

मौके पर उप विकास आयुक्त रवि आनंद, जिला आपूर्ति पदाधिकारी शब्बीर अहमद,जिला शिक्षा सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक पीयूष, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता आशुतोष कुमार, नौडीहा बाजार के प्रखंड विकास पदाधिकारी जितेंद्र मंडल, स्थानीय मुखिया मंजू देवी समेत अन्य उपस्थित थे ।