गोवा की तर्ज पर अब झारखंड सरकार भी महुआ शराब बेचने की तैयारी में : राजस्व बढ़ाने की हो रही कवायद

गोवा की तर्ज पर अब झारखंड सरकार भी महुआ शराब बेचने की तैयारी में : राजस्व बढ़ाने की हो रही कवायद

रांची । झारखंड के अधिकतर गावों में महुआ की शराब बनायी और बेची जाती है । लेकिन अभी तक यह धंधा पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है । महुआ शराब बनाने बेचने वाले लोग शराब में कई रसायन और दवाईयां भी मिला देते हैं जिससे यह‌ जहरीली भी हो जाती है । सरकार को भी इस अवैध‌‌ धंधे‌‌‌ से बड़े पैमाने पर राजस्व की बड़ी क्षति होती है । लेकिन मजे की बात यह‌ है कि अब झारखंड सरकार महुआ की देशी शराब को राजस्व बढ़ाने का साधन बनाने जा रही है। हेमंत सोरेन सरकार ने इसकी तैयारी भी कर ली है।

राज्य सरकार ने यह महसूस किया है झारखंड में देशी महुआ शराब आम आदिवासी समाज की बड़ी जरूरत है। इस जरूरत को ही सरकार राज्य के राजस्व बढ़ाने का जरिया बनाने जा रही है। राज्य सरकार इसके लिए महुआ शराब बनाने की फैक्टरी लगायेगी और महुआ शराब बेचने की शुरुआत करेगी। मद्य निषेध और उत्पाद विभाग ने बकायदा वृहद प्लांट लगाने का प्रयास भी शुरू कर दिया है।

यह जानकारी झारखंड सरकार के वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने दी है। वित्तमंत्री ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में बजट पूर्व गोष्ठी में यह बात कही है। उन्होंने कहा कि उत्पाद विभाग के एक्सपर्ट की ओर से विचार आये हैं। इस पर सरकार विचार करेगी।

राधाकृष्ण किशोर ने स्पष्ट किया कि चूंकि ‘महुआ’ का सेवन स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में किया जाता है, इसलिए गोवा की तर्ज पर विभाग विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर सकता है, ताकि लोगों को अधिक परिष्कृत महुआ पेय उपलब्ध कराया जा सके। इससे राज्य सरकार को राजस्व बढ़ोतरी में मदद भी मिलेगी।

पहले भी कई सामाजिक व राजनैतिक हस्तियों ने दिये थे यह सुझाव

महुआ शराब बनाने और बेचने के कारण होनेवाली घटनाओं और कानूनी कार्रवाईयों से गरीब ग्रामीणों को बचाने के लिए पहले भी कई सामाजिक और राजनैतिक लोग कह चुके हैं कि महुआ शराब को बनाने और बेचने की प्रक्रिया को वैध किया जाना चाहिए ।