एनएच 98 के फोरलेन प्रोजेक्ट में जमीन उपलब्ध कराने के लिए प्रशासनिक महकमे ने लगाया दम

एनएच 98 के फोरलेन प्रोजेक्ट में जमीन उपलब्ध कराने के लिए प्रशासनिक महकमे ने लगाया दम


-- अरूण कुमार सिंह
-- 22 अक्तूबर 2021

छतरपुर के सिलदाग से हरिहरगंज तक निर्माणाधीन एनएच 98 फोरलेन प्रोजेक्ट निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करवाने में पलामू जिला प्रशासन जी-जान से जुट गया है । इसके लिए सभी स्तर पर प्रशासनिक कवायद तेज हो गयी है । अधिकारियों की कोशिश है कि प्रभावितों के साथ इंसाफ करते हुए सड़क निर्माण को गति दिया जाए । उल्लेखनीय है कि सड़क निर्माण के लिए ससमय जमीन नहीं मिलने और मुआवजा वितरण नहीं होने के कारण केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को काली सूची में डाल दिया है ।

मध्यस्थ टीम बैठी, एसी ने कहा- भूमि अधिग्रहण की विसंगतियों को दूर करने के हो रहे प्रयास

अपर समाहर्ता सह ऑर्बिटर सुरजीत सिंह ने बतौर मध्यस्थ करीब तीन दर्जन मामलों की सुनवाई की । इन मामलों में 1955-56 से बंदोबस्त जमीन को रैयती का दर्जा न देना अथवा तीस-चालीस वर्ष पुरानी बंदोबस्त जमीन को भी रैयती न मानकर गैरमजरूआ बताया जाना, जमीन और मकानों की कीमत वास्तविक कीमत से 5-6 गुणा कम लगाना जैसे मामले शामिल थे । इन मामलों की बावत एडवोकेट अरूण कुमार मिश्र ने समग्र चर्चा करते हुए और संबद्ध कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि छतरपुर, पिपरा और हरिहरगंज प्रखंड क्षेत्र के सभी प्रभावित रैयतों की दिली इच्छा है कि फोरलेन सड़क और बाईपास का निर्माण हो । लेकिन वे यह भी चाहते हैं कि उन्हें नियमानुसार उचित मुआवजा भुगतान किया जाए और मुआवजा से संबद्ध सभी विसंगतियों को दूर किया जाए । एसी ने कहा कि सभी पक्षों से बात करके मामले का हल निकाला जाएगा । मौके पर एनएचआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, जिला भू अर्जन पदाधिकारी पलामू, कानूनगो आदि पदाधिकारी भी मौजूद थे ।

लगभग एक वर्ष बीत गये, तब भी नहीं मिली जमीन

संबद्ध मंत्रालय द्वारा इस परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु शिवालया कंस्ट्रक्शन कम्पनी को दिनांक 26.10.2020 को काम आवंटित किया गया था । संबद्ध एकरारनामा पर भी दिनांक 18.12.2020 को संवेदक द्वारा हस्ताक्षर किया जा चुका है। इसका कार्यान्वयन 'हम' मोड पर किया जाना है । विभाग द्वारा संवेदक को सड़क निर्माण हेतु 80% आवश्यक भूमि की उपलब्धता 150 दिनों के अन्दर यानि दिनांक 17.05.2021 तक, सुनिश्चित की जानी थी । भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण हेतु मांग की गयी 198 करोड़ की राशि उपलब्ध कराने के बावजूद आज तक भूमि उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है।

198 में से 30 करोड़ मुआवजा का भी भुगतान नहीं

सड़क निर्माण के लिए कुल 216.4564  हेक्टेयर जमीन चाहिए । लेकिन अभी तक सिर्फ 38.45 हेक्टेयर जमीन ही सड़क बनाने के लिए उपलब्ध है । NH98 के 23.284 किलोमीटर से 57.041 किलोमीटर तक फोरलेन सड़क बनानी है । अधिग्रहित जमीन और मकानों के लिए आबंटित 198 करोड़ मुआवजा राशि में से अभी तक 30 करोड़ रूपये का भी भुगतान प्रभावितों के बीच नहीं हो पाया है । उक्त प्रोजेक्ट के तहत पड़ने वाले छतरपुर, पिपरा और हरिहरगंज प्रखंड क्षेत्र के 38 गावों में से 20% प्रभावितों ने भी मुआवजा नहीं लिया है ।

अधिकतर प्रभावितों ने मुआवजा लेने से इंकार किया

छतरपुर के सड़मा, करमाकला, छतरपुर और हरिहरगंज तथा पिपरा के प्रभावितों की अधिकतर जमीन व्यवसायिक चरित्र की है ‌। वर्तमान में 3 से 4 लाख रूपये प्रति डिसमिल बिकने वाली जमीन का दर कहीं प्रति डिसमिल 7 से लेकर 25 हजार रूपये तक ही लगाया गया है । सूत्रों का कहना है कि पूर्व डीसी ने ऐसा किया था । उन्होंने एनएचआई के संबद्ध नियमों को दरकिनार कर बाजार दर पर जमीन का मूल्य न लगाकर सड़क किनारे और शहर के आसपास तक के जमीन का निम्न कृषि दर लगा दिया था ।

जमीन से संबद्ध निर्णय में लगातार हो रहा विलंब

सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की गयी भूमि में भू अर्जन कार्यालय ने पहले से ही अनावश्यक पेंच फंसा दिया है, जिसके निदान की बावत विभाग की अब भी पूर्ण सक्रियता नजर नहीं आती । अभी तक विभाग ने 60-70 वर्ष पुरानी बंदोबस्त रैयती जमीन को गैरमजरूआ ही मानकर चल रहा है । छतरपुर के सड़मा, सिलदाग समेत अन्य प्रखंडों के कई गावों में ऐसी प्रकृति की सैंकड़ों एकड़ जमीन है जिनपर रैयतों को कानूनी रैयती हक प्राप्त है । ऐसी जमीन की स्थिति स्पष्ट करने के लिए जिला भू अर्जन से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक से कोई निर्देश संबद्ध अधिकारियों को जारी तक नहीं हुआ है ।

28 अक्तूबर को देना होगा जवाब !

सूत्र बताते हैं कि इस मामले को लेकर 28 अक्तूबर को राज्य के प्रधान सचिव ने पलामू उपायुक्त को तलब किया है । निश्चित रूप से प्रोजेक्ट के काली सूची में जाने का दबाव राज्य सरकार पर होगा । सरकार इस दबाव से भी गुजर रही होगी कि अगर अब भी प्रोजेक्ट निर्माण के लिए अगर जमीन मुहैया नहीं करायी गयी तो हमेशा के लिए यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में न डाल दिया जाए ! अब अगर जिला प्रशासन इस मामले में सचमुच गंभीर है तो संबद्ध अधिकारियों को जमीनी सक्रियता दिखानी होगी । रेट दुरुस्त करने में एनएचआई को भी सकारात्मक भूमिका अदा करना होगा । जमीन के मामलों को अति शीघ्र निबटाना होगा ।