8 दिन की अगलगी में 27 लाख करोड़ स्वाहा : प्रकृति की ताकत के आगे किसी का जोर नहीं

8 दिन की अगलगी में 27 लाख करोड़ स्वाहा : प्रकृति की ताकत के आगे किसी का जोर नहीं

-- अरूण कुमार सिंह

यह सोलहो आना सच है कि प्रकृति की ताकत के आगे सारी कथित ताकतों को एक न एक दिन नतमस्तक होना ही पड़ता है । प्रकृति के आगे कुछ नहीं ठहरता, पैसा, नाम, शोहरत, बंगले कुछ नहीं। इस अगलगी में भी सब ख़ाक हो गए।

यह वो शहर था जिसकी चमक से पूरी दुनिया चौंधिया जाती थी । इस शहर में बड़े-बड़े सितारों के आलीशान और महंगे घर... पानी की तरह बहायी जाती दौलत...फैंटेसी-सी जीवनशैली और खुद को पूरी दुनिया के सबसे विकसित और ताकतवर देश का वासी होने का गुरूर...। हम बात कर रहे हैं अमेरिका के चर्चित और खूबसूरत शहर लॉस एंजिल्स की ।

अपनी फिल्मों से परदे पर आग लगाने वाला हॉलीवुड पिछले एक सप्ताह से ऐसी आग की चपेट में है जिसमें करीब 27 लाख करोड़ जलकर स्वाहा हो चुके हैं । 25 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है । सैंकड़ों लोग बेघर हो चुके हैं । हजारों लोगों का ठिकाना छिन गया है । लगभग 40 हजार एकड़ में बनायी गयीं इंसानी संरचनायें जलकर खाक हो चुकीं हैं । और हां, इस प्रसंग में यह हमेशा याद‌ रखिएगा कि इन प्रभावित लोगों में एक भी गरीब कहलाने लायक कोई व्यक्ति नहीं है...

कैलिफॉर्निया की इस आग को बुझाने के लिए पड़ोसी मैक्सिको ने अपने फायर फाइटर्स भेजे हैं । हजारों फाइटर्स अत्याधुनिक संसाधनों के साथ आग बुझाने में लगे हैं और नाकामयाब हो रहे हैं । हजारों लोगों को घर खाली करने के आदेश दिये गये हैं ।सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि लॉस एंजिल्स में आग पर 14%,  ईटन की आग पर 33% और हर्स्ट की आग पर 99% काबू पा लिया गया है।

लेकिन जंगल की आग को काबू करने के प्रयासों में बार-बार बाधा उत्पन्न हुई है, क्योंकि पानी का दबाव कम है और फायर हाइड्रेंट सूख रहे हैं । ऐसा इसलिए है क्योंकि लॉस एंजिल्स की शहरी जल प्रणाली सीमित समय अवधि में स्थानीय, छोटे पैमाने की आग से लड़ने के लिए डिज़ाइन की गई है न कि बड़े पैमाने पर लंबे समय तक चलने वाली आग से। ऊंचाई वाले इलाकों में हाइड्रेंट काम कर रहे थे, लेकिन पहाड़ी इलाकों जैसे कि पैलिसेड्स हाइलैंड्स में वे सूख गए थे। लगातार चल रही तेज हवाओं के कारण भी आग तेजी से फैल रही है । करीब 160 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली गर्म और शुष्क हवायें वनस्पतियों को शुष्क बनाने के लिए जानी जाती हैं, जिससे वे जंगल की आग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।

येल स्कूल ऑफ एनवायरनमेंट की वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक जेनिफर मार्लोन की एक बात इन दिनों चर्चा में है । उन्होंने अनाडोलू इंग्लिश को बताया है कि जंगलों की आग का इतना विनाशकारी प्रभाव इसलिए पड़ा है क्योंकि लोग ऐसे वनस्पति क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं, जो स्वाभाविक रूप से जलते हैं और जलने के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

आपको तो पता ही होगा कि कैलिफ़ोर्निया वन्य सम्पदा की दृष्टि से अमेरिका के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है । 35 किलोमीटर और 3 लाख 21 हजार एकड़ में बसे इस शहर की कुल आबादी 38 लाख है जिसकी चकाचौंध से पूरी दुनिया परिचित है । यह पिछले कुछ वर्षों से मौसमों के पैटर्नों में आये बदलाव से जूझ रहा है।

तो, फिलहाल तो कैलीफोर्निया के इस प्रभावित इलाके के लिए दुआ कीजिये । लेकिन श्मशान जाते वक्त आपको-हमको जो कुछेक पल के लिए 'राम नाम सत्य है' का ज्ञान होता है, उसे ता-उम्र जिन्दा और याद रखिये । और, यह भी कि आपके हमारे जैसे असंख्य जीव इस धरती पर हैं जिनका पालन पोषण यह‌ प्रकृति ही करती है । इसलिए प्रकृति से छेड़छाड़ करने के पहले हजार बार सोचिए और डरिये...
(यह लेखक के अपने विचार हैं )